भारत चीन सीमा के अंतिम गांव माणा में इन दिनों रौनक है। 2 वर्ष कोरोना के बाद इस वर्ष माणा गांव में चहल पहल दिखाई दे रही है। यात्री और सैलानी भारत की अंतिम चाय की दुकान में चाय की चुस्कियां भी ले रहे हैं और साथ ही वेदव्यास और गणेश गुफा के दर्शन कर महाभारत ग्रंथ का अध्ययन भी कर रहे हैं।
माणा गांव वही गांव है जहां भगवान गणेश और वेदव्यास जी ने महाभारत ग्रंथ की रचना की। माणा गांव में घूमने के लिए कई ऐसे स्थान हैं जहां पर्यटक पहुंचकर सुंदर वादियों का दीदार करते हैं। यहीं से आप पाप और पुण्य का फैसला करने वाले वसुधारा की तरफ भी जा सकते हैं। माणा में गणेश गुफा, व्यास गुफा, के साथ सरस्वती नदी का उद्गम होता है। सरस्वती नदी माणा से विलुप्त होकर सीधे प्रयागराज में दिखती है। माणा गांव में भोटिया जनजाति के लोग रहते हैं।
इस गांव में अंतिम चाय की दुकान पर भीड़ तो दिखती ही है साथ ही जिला प्रशासन के द्वारा यहां उबड खाबड़ रास्तों को अच्छा बना कर यात्रियों को सुविधाएं दी गई हैं। वहीं माणा गांव में म्यूजियम का निर्माण भी किया जा रहा है। जहां पारंपरिक चीजों को रखकर भारतीय संस्कृति से यात्रियों और सैलानियों को रूबरू कराया जाएगा।
स्थानीय निवासी ने बताया कि जो भी सैलानी माणा गांव आता है वह यहां के स्थानीय उत्पाद से बनाए हुए वस्त्रों को यादगार के तौर पर खरीद कर ले जाता है। गांव के लोगों को खासी आमदनी भी होती है। माणा गांव अब बदला-बदला सा नजर आ रहा है