देहरादून। भारत-चीन सीमा से लगी अग्रिम चौकियों का जायजा लेने के लिए वायुसेना का चिनूक हेलीकॉप्टर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पहुंचा। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाईअड्डे पर गुरुवार को पहली बार वायुसेना का चिनूक हेलीकॉप्टर उतरा। बता दें कि भारत ने अमेरिका से करीब 15 चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदे हैं। चिनूक एक मल्टीपरपज फाइटर हेलीकॉप्टर है। जिसका उपयोग सैनिकों, तोपखाने और उपकरणों काे लेजाने व ईंधन के परिवहन में किया जाता है। वर्ष 2013 में आपदा से उजड़े केदारनाथ धाम के बाद शुरू हुए पुनर्निर्माण कार्यों के लिए भारी मशीनरी पहुंचाने में इस हेलीकॉप्टर की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। अब चीन सीमा से लगे सीमांत जनपद में चिनूक की धमक से वायुसेना को बल मिलने की उम्मीद है। भारत-चीन के बीच उत्तराखंड में 345 किमी लंबी सीमा है। जनपद से चीन की करीब 117 किमी सीमा लगती है। यहां सीमाओं की सुरक्षा के लिए अग्रिम चौकियों पर भारतीय सेना के जवानों के साथ ही आईटीबीपी के हिमवीर पूरी मुस्तैदी के साथ निगरानी कर रहे हैं।
इससे पहले पिछले साल चिनूक हेलीकॉप्टर की ओर से 17 अक्तूबर को केदारनाथ में एमआई-26 हेलीपैड पर सफल लैंडिंग की गई थी।
चिनूक सीएच-47 हेलीकॉप्टर 20 हजार फीट से भी अधिक ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिले से भारत-चीन सीमा लगी है। उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा करीब 345 किलोमीटर लंबी है।
चिनूक हेलीकॉप्टर एक समय में 12 टन से अधिक वजन अपने साथ ले जा सकता है। चिनूक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल विश्व के 26 देशों में किया जा रहा है।
हिमालय की दुर्गम रेंज के चलते उत्तरकाशी जिले से लगा बॉर्डर काफी हद तक सुरक्षित है। अभी तक इस हिस्से में चीन की ओर से कभी घुसपैठ घटना नहीं हुई है। बावजूद इसके भारतीय सेना यहं पूरी सतर्कता बरतती है। कई बार बाड़ाहोती में चीन घुसपैठ कर चुका है।