भारत में जेट स्ट्रीम का असर, पड़ेगी भीषण गर्मी, हिमखंड पिघलने और हिमस्खलन की आशंका

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उत्तराखंड में मौसम की बढ़ती बेरुखी मौसम विज्ञानियों को भी हैरान कर रही है। शीतकाल में लगातार वर्षा में कमी के बाद अब तेजी से बढ़ रहा तापमान चिंता का विषय बनता जा रहा है।देश में सक्रिय पश्चिमी जेट वायु धारा से मौसम का मिजाज चौंका रहा है।

उत्तराखंड में भी इसका व्यापक असर पड़ने की आंशका है। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है। जिससे हिमखंड पिघलने और हिमस्खलन की आशंका है। इसके साथ ही प्रदेश में गर्मी का एहसास भी होने लगा है। अगले पांच दिन तापमान में अत्यधिक वृद्धि को लेकर मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है।

वहीं शुक्रवार को राजधानी देहरादून में सुबह की शुरुआत हल्‍के बादलों के साथ हुई। बादलों और धूप के बीच लुकाछिपी का दौर जारी रहा।

सामान्य से आठ से 12 डिग्री सेल्सियस अधिक रह सकता है तापमान
प्रदेश में मौसम शुष्क बना हुआ है और ज्यादातर क्षेत्रों में चटख धूप खिल रही है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार अगले चार-पांच दिन उत्तराखंड के देहरादून, टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जनपदों में अधिकतम तापमान आठ से 10 डिग्री सेल्सियस तक सामान्य से अधिक बने रहने की आशंका है।

जबकि, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जनपदों में अधिकतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस तक सामान्य से अधिक पहुंच सकता है। आगामी 19 व 20 फरवरी को कहीं-कहीं हल्की वर्षा के भी आसार बन रहे हैं। इसके साथ ही इस दौरान दिन और रात के तापमान में 18 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर आ सकता है।

यह होती है जेट वायु धारा
जेट वायु धारा भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों में से एक है।
जेट स्ट्रीम या जेट वायु धाराएं ऊपरी वायुमंडल में विशेषकर समताप मंडल में तेज गति से प्रवाहित होने वाली हवाएं हैं।
इसकी प्रवाह की दिशा जलधाराओं की तरह ही निश्चित होती है।
यह दो प्रकार की होती है, पश्चिमी जेट स्ट्रीम और पूर्वी जेट स्ट्रीम। पश्चिमी जेट स्ट्रीम स्थायी जेट स्ट्रीम है।
इसका आंशिक प्रभाव वर्षभर रहता है।
इसके प्रवाह की दिशा मुख्य रूप से पश्चिम और उत्तर भारत से दक्षिण की ओर रहती है और यह शीतकाल में शुष्क हवाओं के लिए उत्तरदायी है।
सतह पर गर्म हवाओं से बनने वाला निम्न दबाव क्षेत्र तापमान वृद्धि का कारण है।
पूर्वी जेट स्ट्रीम की दिशा दक्षिण-पूर्व से लेकर पश्चिमोत्तर भारत की ओर है। यह अस्थायी प्रवाह है और इसका असर वर्षाकाल में ही दिखता है।
शहर, अधिकतम, न्यूनतम
देहरादून, 27.4, 10.4
ऊधमसिंह नगर, 27.2, 7.6
मुक्तेश्वर, 18.7, 5.9
नई टिहरी, 19, 7.8

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