प्रदेश में वाहनों के भारी किराये और मालभाड़े से राहत का फार्मूला परिवहन विभाग एक साल में भी तैयार नहीं कर पाया है। इसके लिए गठित समिति एक बार राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की बैठक में फार्मूला लेकर आई थी जो कि रिजेक्ट हो गया था।
नए बदलावों के साथ फॉर्मूला तैयार नहीं हो पाया है। प्रदेश में कई-कई साल बाद किराया बढ़ोतरी, माल वाहनों के भाड़े में बढ़ोतरी पर निर्णय लिया जाता है। इससे जनता पर किराये का भारी बोझ पड़ता है। समस्या से निजात के लिए पिछले साल नवंबर माह में राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की बैठक में हर साल एक अप्रैल को किराया बढ़ोतरी स्वत: होने का फॉर्मूला तैयार करने का निर्णय लिया गया था।
उप परिवहन आयुक्त राजीव महरा की अध्यक्षता में इसकी समिति गठित की गई थी। समिति ने करीब चार माह पहले किराया बढ़ोतरी से जुड़े सभी पहलुओं को समाहित करते हुए एक फार्मूला एसटीए की बैठक में रखा भी था जो स्वीकार नहीं हो पाया था। एसटीए ने दोबारा इस पर काम करके फार्मूला तैयार करने को कहा था।
करीब एक साल बीतने को है, लेकिन अभी तक ये फार्मूला तैयार नहीं हो पाया है। उप परिवहन आयुक्त राजीव महरा का कहना है कि अभी इस पर काम चल रहा है। बताया, जल्द ही इसका प्रस्ताव एसटीए की बैठक में लाया जाएगा। इसके तहत व्यावसायिक वाहनों ट्रक, मिनी ट्रक, लोडर का मालभाड़ा और रोडवेज, निजी बस, सिटी बस, टैक्सी, मैक्सी, ऑटो, विक्रम, ई-रिक्शा का किराया भी एक निश्चित दर से बढ़ाने का तरीका सुझाया जाएगा।