मरीजों के लिए अस्पतालों में कम पड़ रहे बेड, आइसीयू की सबसे ज्यादा परेशानी

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देहरादून। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही अब व्यवस्थाएं लड़खड़ाने लगी हैं। अन्य जिलों की बात छोड़ि‍एए राजधानी दून में ही मरीजों के लिए बेड कम पड़ने लगे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी आइसीयू को लेकर है। न तो सरकारी अस्‍पताल में आइसीयू बेड खाली हैं और न किसी निजी अस्पताल में । अभी दो दिन पहले ही इंदिरा कॉलोनी निवासी एक मरीज ने इस कारण दम तोड़ दिया। स्वजन उसे लेकर एक से दूसरे अस्पताल घूमते रहेए मगर कहीं भी आइसीयू का बेड खाली नहीं मिला।

कोरोना संक्रमण के लिहाज से देहरादून में हालात विकट होते जा रहे हैं। पिछले सात दिन में यहां डेढ़ हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैंए जो कि प्रदेश में आए कुल मामलों का 27 फीसद है। इतना ही नहींए इस दरमियान दून में 39 मरीजों की मौत भी हुई है। चिंता बढ़ाने वाली बात यह भी है कि शुरुआती चरण में जहां बहुत कम मरीजों को आइसीयू और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही थीए वहीं अब काफी संख्या में मरीज गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच रहे हैं। ऐसे में सभी को आइसीयू बेड उपलब्ध करा पाना मुश्किल हो रहा है।

ऐसा नहीं है कि कोरोनाकाल में अस्पतालों में आइसीयू बेड बढ़ाए नहीं गए। शहर के प्रमुख सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में ही पहले सिर्फ पांच आइसीयू बेड थेए जबकि अब यह संख्या बढ़कर 35 हो चुकी है। इसके अलावा एम्स ऋषिकेश में 100 आइसीयू बेड कोरोना के उपचार के लिए आरक्षित हैं। निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज की अनुमति मिलने के बाद 41 आइसीयू बेड और जुड़ गए हैं। मगरए तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के कारण आइसीयू बेड की यह संख्या नाकाफी साबित हो रही है।

आइसीयू व वेंटिलेटर की जरूरत क्यों

कोरोना वायरस सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव फेफड़ों पर डालता है। इससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। हालत ज्यादा खराब होने पर मरीज को कृत्रिम ऑक्सीजनए आइसीयू और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।

बोले डीएम साहब

डॉण् आशीष कुमार श्रीवास्तव ;जिलाधिकारी देहरादूनद्ध का कहना है कि मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ अस्पतालों पर दबाव भी बढ़ रहा है। मुख्य चिकित्साधिकारी को अस्पतालों के साथ समन्वय स्थापित कर आइसीयू की क्षमता बढ़ाने व उन्हें हर हाल में गंभीर मरीजों के लिए आरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं। यह प्रयास भी किया जा रहा है कि जल्द कुछ अन्य अस्पतालों में कोरोना का उपचार शुरू हो सके।

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