महंगाई, बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार के विरोध में कांग्रेस का प्रदर्शन आज

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प्रदेश कांग्रेस कमेटी बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार के विरोध में सोमवार को सभी जिला एवं शहर मुख्यालयों में हाथ पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन के साथ भाजपा सरकार का पुतला दहन कर रही है। इस क्रम में हरिद्वार के चंद्राचार्य चौक पर बेरोजगारी व भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेसियों ने जोरदार प्रदर्शन किया और पुतला दहन किया। 

महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी से पूरे देश की जनता त्रस्त
वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव संगठन मथुरादत्त जोशी ने बताया कि भाजपा शासन में महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी से पूरे देश की जनता त्रस्त हो चुकी है।

महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार भाजपा सरकारों की पहचान बन गई है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय बेरोजगारी दर की भी दोगुनी है। एक तरफ रोजगार देने में सरकार असमर्थ है, दूसरी तरफ जिनके पास नौकरी है, वह सरकार के तानाशाहीपूर्ण रवैये से परेशान हैं।

मूंगफली-रेवड़ी पर महंगाई की मार 
ठंड के साथ बाजार में मूंगफली, गजक, रेवड़ी और गुड़ पापड़ी बिकने लगी है। सड़कों के किनारे भट्ठियों पर चढ़ी कढ़ाई में मूंगफली भुन रही हैं तो जगह-जगह ठेलियों में गजक, रेवड़ी और गुड़ पपड़ी सजी है लेकिन इस बार सभी चीजों पर महंगाई की मार है। इससे ग्राहक और छोटे व्यापारी दोनों परेशान हैं। 

मूंगफली विक्रेता मनोज कुमार का कहना है कि हरिद्वार देहात के घाड़ क्षेत्रों में मूंगफली की पैदावार होती है लेकिन बाजार की खपत पूरी करने के लिए अधिकतर मूंगफली बाहरी मंडियों से आती है। ज्वालापुर क्षेत्र में गुड़ पपड़ी और गजक तैयार होती है। ज्वालापुर क्षेत्र से ही शहर के अलग-अलग इलाकों में इनकी बिक्री होती है।

उनका कहना है कि पिछले साल लॉकडाउन में धंधा चौपट रहा। इस साल भी कोरोना का साया मंडराने लगा है। वैसे भी इस साल मूंगफली से लेकर गजक, गुंड, रेवड़ी की कीमतों में तेजी है। ठंड में लोग खा तो रहे हैं लेकिन अपनी जेब भी देख रहे हैं। 

कनखल में मूंगफली और रेवड़ी बेचने वाले सादिक का कहना है कि मूंगफली 120 रुपये किलो है। पिछले साल 80 से 100 रुपये किलो बिक रही थी। रेवड़ी का 200 ग्राम का पैकेट 40 रुपये और गजक का 200 ग्राम का पैकेट 50 रुपये का है। पिछले साल की तुलना में दस-दस रुपये ज्यादा हैं। उनका कहना है कि कई ग्राहक तो कीमत सुनकर ही लौट जाते हैं। 

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