हरिद्वार। बैंक अधिकारी-कर्मचारियों की नौ यूनियनों के आह्वान पर शुक्रवार से सरकारी बैंकों में दो दिन की हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल में प्रदेशभर से करीब 2500 बैंक शाखाओं के करीब 22 हजार अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए। हालांकि हड़ताल के दौरान सभी निजी बैंक खुले रहे। उधर, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक ने नैतिक समर्थन दिया।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की ओर से सभी बैंक अधिकारी और कर्मचारी शुक्रवार को परेड ग्राउंड में एकत्र हुए। कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
यूनियन के पदाधिकारी प्रमोद रंजन कुकरेती ने कहा कि वह 27 महीने से वेतन बढ़ोतरी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। वार्ताओं के 36 दौर होने के बावजूद अभी तक सरकार और बैंक प्रबंधन का हिस्सा आईबीए किसी भी प्रकार का समाधान नहीं निकाल पाएं हैं।
कर्मचारी आंदोलन से बैंकों के विलय और निजीकरण का विरोध कर रहे थे। पांच दिवसीय बैंकिंग, नई पेंशन स्कीम के स्थान पर परिभाषित पेंशन, पेंशन का नए वेतन मान के साथ एडजस्टमेंट, पारिवारिक पेंशन में बढ़ोतरी उनकी प्रमुख मांगें हैं। इस हड़ताल में आईसीआईसीआई, यस बैंक, एचडीएफसी, इंडसंड बैंक, एक्सिस बैंक सहित सभी प्राइवेट बैंक शामिल नहीं हुए।
यह यूनियन हईं हड़ताल में शामिल
ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन(एआईबीईए), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन(एआईबीओसी), नेशनल कंफेडरेशन ऑफ बैंक इंप्लाइज(एनसीबीई), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन(एआईबीओए), बैंक इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया(बीईएफआई), नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स(एनओबीडब्ल्यू), नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स(एनओबीओ)।
यूजीबी के अधिकारियों ने दिया नैतिक समर्थन
उत्तराखंड ग्रामीण बैंक अधिकारी संगठन ने हड़ताल को नैतिक समर्थन दिया है। संगठन के सचिव भुवनेंद्र बिष्ट ने कहा कि तकनीकी कारणों से ग्रामीण बैंकों की राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त मोर्चा यूएफ आरआरबीयू द्वारा इस हड़ताल के समर्थन में नोटिस न दे पाने के कारण हड़ताल में सहभागिता नहीं की जा रही है। यूएफ आरआरबीयू की सात फरवरी 2020 को होने वाली बैठक के बाद आगामी आंदोलन में पूर्ण सहभागिता करने का निर्णय लिया जा सकता है। बैंककर्मियों का 11वां वेतन समझौता एक नवंबर 2017 से लंबित है।
केंद्र ने न मानी बात तो एक अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल
नेशविला रोड स्थित कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के संयोजक समरदर्शी बड़थ्वाल ने कहा कि वह तीन साल इन मांगों के निस्तारण की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार कोई हल नहीं निकाल पा रही है।
कहा कि 31 जनवरी व 1 फरवरी को सांकेतिक रूप से कार्यबहिष्कार करेंगे। समस्या का समाधान न हुआ तो 11 से 13 मार्च तक तीन दिन दोबारा कार्यबहिष्कार करेंगे। इसके बाद भी हल नहीं होने पर एक अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की जाएगी।