मानसून में कोरोना से बढ़ सकती हैं लोनिवि की मुश्किलें, गांवों में बढ़ते संक्रमण के बीच सड़कें खुली रखनी होगी

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राज्य के पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहा कोरोना संक्रमण लोक निर्माण विभाग के लिए मुसीबत बन सकता है। मानसून से पहले यदि संक्रमण के फैलाव पर अंकुश नहीं लगा तो लोनिवि के सामने सड़कों को कम से कम समय में खोलने की नई चुनौती खड़ी हो जाएगी।मानसून के दौरान प्रदेश में हर दिन औसतन 200 से अधिक सड़कें मलबा आने और चट्टानों के टूटने से अवरूद्ध होती हैं। इनमें बहुत बड़ी संख्या ग्रामीण सड़कों की होती है। राष्ट्रीय राजमार्ग और मुख्य मार्गों को खोलना विभाग की पहली प्राथमिकता होती है। लेकिन इस बार मानसून में लोनिवि के सामने कोरोना की चुनौती है।गांवों में कोविड संक्रमण बढ़ रहा है। इस पर मानसून तक नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह स्वास्थ्य विभाग के साथ लोनिवि के लिए बड़ी चुनौती बन जाएगा। रोगी को इलाज के लिए अस्पतालों तक आने या उन तक चिकित्सकीय व अन्य सेवा कार्यों को पहुंचाने के लिए सड़कों को खुला रखना जरूरी है। इसलिए विभाग पर ग्रामीण सड़कों को जल्द से जल्द खोलने का दबाव रहेगा। वर्तमान में बाधित सड़कों को खोलने का रिस्पांस टाइम 20 से 30 मिनट है। लेकिन यह प्रमुख मार्गों तक सीमित है। ग्रामीण सड़कों को खोलने में लंबा समय लगता है। लेकिन अब विभाग को ग्रामीण सड़कों को खोलने के लिए तेजी दिखानी होगी।गांवों में 90 फीसदी से अधिक कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन में हैं। पंचायती राज विभाग के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक, 18 मई तक गांवों में 15981 संक्रमितों में 14851 होम आइसोलेशन में थे। केवल 1008 का इलाज अस्पतालों में हो रहा है। ऐसे में होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के समुचित इलाज की सुविधा के लिए रोड कनेक्टिविटी का बरकरार रखना जरूरी है ताकि स्वास्थ्य खराब होने पर उन्हें तत्काल कोविड केयर सेंटर में इलाज के लिए लाया जा सके।

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