मासिक परीक्षा और आंतरिक मूल्यांकन में लापरवाही, सीईओ, बीईओ और प्रधानाचार्यों देंगे कारण बताओ नोटिस

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देहरादून। 10वीं व 12वीं की कक्षाओं में मासिक परीक्षा और आंतरिक मूल्यांकन को लेकर बरती गई लापरवाही प्रधानाचार्यों और शिक्षाधिकारियों को भारी पड़ेगी। बोर्ड रिजल्ट तैयार करने में यह चूक शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय को सख्त नागवार गुजरी। ऐसे विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के साथ ही संबंधित खंड शिक्षाधिकारियों और मुख्य शिक्षाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस देने के निर्देश दिए गए हैं।

कोरोना संकट को देखते हुए सरकार ने बीते शैक्षिक सत्र 2020-21 में 10वीं व 12वीं की कक्षाओं के संचालन की अनुमति दी थी। बीते नवंबर से मार्च माह यानी पांच महीनों के दौरान सरकारी, अनुदानप्राप्त अशासकीय और उत्तराखंड बोर्ड से मान्यताप्राप्त निजी माध्यमिक विद्यालयों को बोर्ड परीक्षार्थियों की पढ़ाई के लिए खोला गया था। शासन काफी पहले ही मासिक परीक्षा लेने के आदेश जारी कर चुका है। इसके बावजूद विद्यालयों के स्तर पर छात्र-छात्राओं के लिए मासिक परीक्षा समेत अन्य आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था नहीं की गई। सीबीएसई समेत अन्य राज्यों में प्री-बोर्ड एवं अन्य तरीके से हुए आंतरिक मूल्यांकन को 10वीं व 12वीं के रिजल्ट के लिए ज्यादा तवज्जो दी गई।

उत्तराखंड में विद्यालयों के स्तर पर बरती गई लापरवाही के चलते आंतरिक मूल्यांकन के अंकों को रिजल्ट में ज्यादा महत्व नहीं देने के लिए कदम उठाने की नौबत आई। मंगलवार को विभागीय समीक्षा के दौरान सामने आने पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय खफा हो गए। उन्होंने इस लापरवाही को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि कुछ विद्यालयों ने मासिक परीक्षाएं कराईं। यह परीक्षा नहीं कराने वाले विद्यालयों की संख्या काफी है। ऐसे विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के साथ ही खंड शिक्षाधिकारियों और मुख्य शिक्षाधिकारियों का जवाब तलब किया जाएगा। उन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं।

देहरादून और हरिद्वार के सीईओ से होंगे जवाब तलब

देहरादून व हरिद्वार जिलों में निजी विद्यालयों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत दाखिल बच्चों की फीस मद का पैसा देने में हीलाहवाली पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय नाराज हुए। शासन स्तर से जिलों को इस मद में पैसा दिया जा चुका है। इन दोनों जिलों के मुख्य शिक्षाधिकारियों का स्पष्टीकरण तलब किया जाएगा।

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