देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में वास्तव में जरूरतमंदों और बेरोजगार को प्राथमिकता दी जाए। सभी विभागों में चल रही स्वरोजगार योजनाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के साथ जोड़ा जाए। सोलर और पिरुल प्रोजेक्ट की आवश्यक प्रक्रियाएं समय से पूरी हों। इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रत्येक जिले में स्वरोजगार प्रेरक तैनात किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिलाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और सोलर-पिरूल परियोजनाओं की समीक्षा की। इस दौरान सीएम ने कहा कि होप पोर्टल पर स्वरोजगार की सभी योजनाओं की सूचना अपलोड की जाए। एक प्लेटफॉर्म पर आने से लोगों को इन योजनाओं की जानकारी मिल पाएगी और इसका लाभ उठा सकेंगे। इसमें जन प्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाए।
प्रत्येक जिले में दो-दो स्वरोजगार प्रेरक
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की कोशिश है हर बेरोजगार साथी अपना रोजगार शुरू कर सके। लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने को हर जिले में एक महिला और एक पुरूष स्वरोजगार प्रेरक तैनात किए जाएंगे।
किसानो के उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री का कहना है कि किसानों को अपने उत्पादों की बिक्री के लिए निश्चिंत होना चाहिए। उनके उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था पर काम किया जाए। हॉर्टीकल्चर, पॉल्ट्री, मत्स्य, बकरी और भेड़पालन लाभदायक हो सकते हैं। इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाए। कोशिश रहे कि अदरक, हल्दी आदि के बीज मांग के अनुरूप स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हों। किसानों को उन्नतशील खेती का प्रशिक्षण बंद कमरों तक ही सीमित न रहे, यह प्रशिक्षण का लाभ खेतों तक पहुंचे। कृषि विज्ञान केंद्रों का अधिकाधिक उपयोग हो।
लाभकारी प्रोजेक्ट पर संबंधित विभाग गाइडलाइन तैयार करें
आवेदकों को प्रोजेक्ट बनाने के लिए सारी जानकारी दें। इसमें ऑफलाइन आवेदन की भी व्यवस्था हो। विभिन्न व्यवसायों के प्रोजेक्ट किस प्रकार लाभकारी हो सकते हैं, इसके लिये संबंधित विभाग गाइडलाइन तैयार करें। जिला रोजगार समितियां आवेदकों की काउंसलिंग भी करें। डीएम हर जिले में कुछ माॅडल प्रोजेक्ट स्थापित करें। बैंकों से समन्वय स्थापित किया जाए और ऋण प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं का निस्तारण तुरंत किया जाए।
सोलर और पिरुल प्रोजेक्ट में प्रक्रियाएं समय पर हों पूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोलर कि पिरुल प्रोजेक्ट को प्राथमिकता से लिया जाए। किसी भी एसडीएम के पास इनसे संबंधित फाइल एक सप्ताह से ज्यादा लंबित नहीं रहनी चाहिए। जिलाधिकारी लगातार इसकी समीक्षा करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में पिरुल प्रोजेक्ट में पिरुल एकत्रीकरण पर स्वयं सहायता समूहों को एक रुपये प्रति किलो वन विभाग और 1.5 रूपया (एक रुपये पचास पैसे) प्रति किलो विकासकर्ता द्वारा दिया जाता है। अब राज्य सरकार भी अतिरिक्त एक रुपये प्रति किलो यानी 100 रुपये प्रति क्विंटल की राशि देगी।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में ट्रेडिंग भी शामिल
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने बताया कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के साथ ट्रेडिंग को भी लिया गया है। योजना की वेबसाइट पर मॉडल प्रोजेक्ट अपलोड किए गए हैं। प्रोजेक्टों की डीपीआर के स्टैंडर्ड फॉर्मेट भी उपलब्ध कराए गए हैं। वेबसाइट लॉन्च करने के कुछ ही दिनों में काफी लोगों ने आवेदन किया है।
सोलर और पिरुल प्रोजेक्ट
सचिव राधिका झा ने प्रदेश में सोलर और पिरुल प्रोजेक्टों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि सोलर में 283 परियोजनाएं आवंटित की गई हैं, जिसमें 203 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा और 800 करोड़ रुपए का निवेश होगा। बहुत सी परियोजनाओं के लिए यूपीसीएल का करार हो चुका है। पिरुल के भी 38 प्रोजेक्ट आवंटित किए जा चुके हैं। इनका भी यूपीसीएल के साथ करार किया जा चुका है। वीडियो कांफ्रेंसिग में मुख्यमंत्री के आइटी सलाहकार रवींद्र दत्त, मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट, सचिव एल फैनई, अमित नेगी, आर. मीनाक्षी सुंदरम, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल समेत अन्य अधिकारी और जिलाधिकारी उपस्थित थे।