मैं हरिद्वारी लाल हूं तो भाजपा नेता इतवारी लाल ठैरे – हरीश रावत

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सोशल मीडिया पर हिंदू-मुस्लिम को लेकर कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हरीश रावत और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी की बीच शुरू हुई जुबानी जंग का असर कांग्रेस के मंथन शिविर में भी देखने को मिला।

यहां पत्रकारों से मुखातिब होते ही यह मुद्दा छिड़ गया। जिस पर हरीश रावत ने कहा कि अनिल बलूनी अगर मुझे हरिद्वारी लाल कहते हैं तो मैं इसमें भी खुश हूं। मैं हरिद्वारी लाल हूं तो भाजपा नेता इतवारी लाल ठैरे…

कांग्रेस के विचार मंथन शिविर के दौरान बातचीत में हरीश रावत ने कहा कि मैं हरिद्वारी  लाल भी हूं, ऋषिकेश लाल भी हूं, अल्मोड़ा लाल भी हूं और अल्मोड़ा का बाल (बाल मिठाई) भी हूं। उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मुझे लोग जहां में जाता हूं, वहां का मानते हैं। मेरे लिए हरिद्वारी लाल कहा जाना एक बड़ा कॉमप्लीमेंट है। मैं हरिद्वारी लाल हूं तो भाजपा नेता इतवारी लाल ठैरे… मतलब भाजपा के ज्यादातर नेता इतवारी लाल हैं, जो सिर्फ शनिवार-इतवार को बाहर निकलते हैं।

हरीश रावत ने फिर दागा सवाल
हरीश रावत ने कहा कि एक प्यारे से दोस्त ने मुझे विकास-विकास, जन कल्याण-जन कल्याण और रोजगार-2 पर बातचीत की दावत दी। मैंने कुछ सवालों के साथ शुरुआत की और जिन सवालों में आखिरी सवाल था कि हमारी सरकार जल बोनस की नीति और नियमावली बना करके गई, आपकी सरकार ने मेरा गांव-मेरी सड़क से लेकर के विभिन्न बोनस नीतियों को क्यों बंद कर दिया? इसी शृंखला में मैं एक और प्रश्न आगे बढ़ा रहा हूं।

हमारी सरकार ने गरीब, निर्धन और दलित वर्ग की कन्याओं के लिए बेटी बचाओ अभियान के तहत दो बेटियों तक, पैदा होते ही 5000 की एनएससी और उसके बाद फिर 5-5 हजार रुपये की दो और एनएससी अर्थात 15000, पढ़ने के लिए गौरा देवी योजना के तहत 50 हजार का प्रावधान किया।

विवाह के वक्त भी गरीब की कन्या के साथ सरकार खड़ी दिखाई दे, उसके लिए नंदा देवी योजना के तहत 50 हजार अनुदान स्वरूप उनको दिया जाता था और यह योजना बहुत उत्साह पूर्वक चल रही थी, भाजपा की सरकार ने योजना का पहले नाम बदला गौरा नंदा कर दिया, कन्या गायब हो गई और गौरा नंदा योजना का भी ऐसा चूचू का मुरब्बा बना दिया कि या तो बेटी को पैसा मिल नहीं रहा है और मिल भी रहा है तो 30 हजार के आस-पास मिल पा रहा है, जबकि हमारे समय में 1 लाख रुपये, 15000, एनएससी का जो ब्याज आता था, वो ब्याज।

गरीब के लिए कन्या बोझ नहीं रह गई थी, मगर भाजपा ने अपने खजाने के बोझ को हटाने के लिए दलित व गरीब की कन्या का हिस्सा काट दिया, क्यों काटा मेरे दोस्त इसका जवाब दें?

 

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