देहरादून। सांस, हार्ट व अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए जिस तरह कोरोना हाई रिस्क और जानलेवा साबित हो रहा है। उसी तरह मोटापा भी कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का एक कारण बन रहा है। इसमें ज्यादातर युवा शामिल हैं। विभिन्न अस्पतालों के आंकड़े और अध्ययन इस बात की तस्दीक कर रहे हैं।
पंडितवाड़ी स्थित केयर मेडिकल सेंटर के वरिष्ठ पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. परवेज अहमद ने बताया कि वह एक निजी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में भी सेवाएं देते हैं। प्रत्येक दिन उनका दून और मेरठ के इस मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ कोरोना मरीजों, उनके रिकवरी रेट और मौत की संख्या व कारणों पर ऑनलाइन विमर्श होता है।
पहले यह बात सामने आई थी कि सांस, हार्ट, बीपी, शुगर जैसी बीमारियों के मरीजों को अगर कोरोना संक्रमण होता है तो वह हाई रिस्क में आते हैं। नए अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों में मोटापा ज्यादा होता है वह भी कोरोना संक्रमित होने पर हाई रिस्क में आ जाते हैं।
दून अस्पताल में भी पहुंच रहे हैं इस तरह के कई मरीज
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के फिजिशियन डॉ. कुमार जी. कौल ने बताया कि मोटापे से ग्रस्त, जिसे मेडिकल की भाषा में ऑब्स्ट्रक्टिव स्लिप एपनिया सिंड्रोम कहते हैं, वह कोरोना मरीजों के लिए बहुत खतरनाक साबित हो रहा है। छाती के नीचे जो डायप्राम होती है, वह सांस लेते समय खुलती रहती है। मोटापा ज्यादा होने से वजन के कारण उस पर प्रेशर बढ़ जाता है।
जिस कारण इंसान सांस ठीक से नहीं ले पाता है। कोरोना में अगर मरीज को निमोनिया हो जाए तो डायप्राम पर और प्रेशर आ जाता है। जिसके चलते वह खुलता नहीं है और सांस उखड़ने लगती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
इस कारण ज्यादातर मरीजों की हालत खराब होने लगती है और कई की मृत्यु तक हो जाती है। उन्होंने बताया कि दून अस्पताल में भी इस तरह के कई मरीज पहुंच रहे हैं। इसलिए उन्होंने सलाह दी कि हल्की एक्सरसाइज जरूर करें और ऐसी चीजें खानपान में शामिल न करें जो मोटापे को बढ़ाती हैं।