देहरादून। आर्थिकी और पारिस्थितिकी के मध्य बेहतर समन्वय से तमाम समस्याओं का निदान किया जा सकता है। कोरोनाकाल की इस सीख को अब सरकारें भी समझने लगी हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने देहरादून के 111 साल पुराने राजकीय सर्किट हाउस उद्यान में देश के पहले बी-पोलन गार्डन की स्थापना के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इसके माध्यम से पोलन यानी मौनी गोंद के साथ ही शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मौनपालकों को प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके।
मौनपालन के जरिये शहद व मोम उत्पादन की अच्छी संभावनाओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने राज्य में मौनपालन से भी आर्थिकी संवारने की ठानी है। इस क्रम में सभी 13 जिलों में एक-एक न्याय पंचायत को मधु न्याय पंचायत के रूप में चयनित कर पहले चरण में वहां 500-500 किसानों को मौनपालन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही उनसे शहद की मार्केटिंग के लिए भी कार्ययोजना तैयार की गई है, जिसके तहत सहकारी समितियों के माध्यम से इसकी खरीद की जाएगी। इस बीच राज्य के मौनपालकों को मौनी गोंद के उत्पादन के लिए प्रेरित करने और उन्हें प्रशिक्षण देने के मकसद से पोलन गार्डन विकसित करने का निर्णय लिया गया है। सर्किट हाउस राजकीय उद्यान में 200 बीघा क्षेत्र में इसे स्थापित किया जा रहा है। उद्यान विभाग के निदेशक डा. एचएस बावेजा बताते हैं कि बी-पोलन को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार माना जाता है। ये शहद से अधिक दाम पर बिकता है, जो मौनपालकों को दोहरा लाभ दे सकता है।
यह है मौनी गोंद
पोलन या मौनी गोंद पौधों से प्राप्त और मधुमक्खियों द्वारा निमुक्त किए गए योगिकों का मिश्रण है। उद्यान निदेशक डा. बावेजा बताते हैं कि मौनी गोंद में परागकण, सगंध तेल, राल, मोम समेत अन्य कार्बनिक योगिक होते हैं। अभी तक मोनी गोंद का शोध के लिए तो उत्पादन होता आया है, मगर व्यवसायिक रूप में नहीं। अब उत्तराखंड यह पहल कर रहा है। तीन-चार माह में देश का यह पहला पोलन गार्डन अस्तित्व में आ जाए।
ऐसे प्राप्त होता है पोलन
सर्किट हाउस उद्यान के प्रभारी दीपक पुरोहित और पोलन गार्डन की स्थापना से जुड़े सहायक विकास अधिकारी (उद्यान) हेमवती नंदन के अनुसार मधुमक्खियां जब फूलों से परागकण लेकर मौन बाक्स में आती हैं तो प्रवेश द्वार पर पोलन ट्रैप लगाया जाता है। इससे परागकण ट्रैप के नीचे लगी ट्रे में जमा होते हैं। एक मौन बाक्स पर दिन में एक या दो घंटे ही ट्रैप लगाया जाता है, ताकि मधुमक्खियों के लिए भी भोजन की कमी न हो। बाद में ट्रे में जमा पोलन को कक्ष के भीतर निश्चित तापमान में सुखाया जाता है। उन्होंने बताया कि पोलन गार्डन में भी करीब एक हजार मौन बाक्स लगाए जाएंगे। साथ ही वहां प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी।
सुबोध उनियाल (कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री, उत्तराखंड) का कहना है कि उत्तराखंड में मौनपालन की बेहतर संभावनाएं हैं। इस कड़ी में मौनपालन के लिए जनसामान्य को प्रेरित करने को कई कदम उठाए गए हैं। दून में स्थापित होने जा रहे बी-पोलन गार्डन के माध्यम से मौनपालकों को मौनी गोंद के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे उनकी आय में बढ़ोतरी तो होगी ही, पारिस्थितिकी भी सशक्त होगी।