उत्तराखंड में हो रही भारी बारिश की वजह से 107 सड़कें बंद हो गई। इस वजह से लोगों को आवाजाही में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लगातार हो रही बारिश की वजह से सड़कों को खोलने के काम में भी बाधा आ रही है, जिससे सड़कें कम मात्रा में खुल पाई हैं। प्रदेश के गढ़वाल व कुमाऊं मंडल के विभिन्न जिलों में सड़कों पर मलबा आने से यातायात प्रभावित हुआ है। सड़कों के बंद होने के बाद गाड़ियों की लंंबी-लंबी लाइनें लग गई हैं, जिससे यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोनिवि के एचओडी हरिओम शर्मा ने बताया कि रविवार को राज्य में कुल 107 सड़कें बंद हो गई। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से सड़कों को खोलने के लिए कुल 277 जेसीबी मशीनों को लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि रविवार को भारी बारिश के बावजूद राज्य भर में कुल 40 सड़कों को खोला गया है। उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से सड़कों को खोलने के काम में बाधा उत्पन्न हो रही है। कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले में बारिश के बाद सड़कें बंद हो गई हैं। करीब एक दर्जन सड़काें पर मलबा आने से यातायात बाधित हो गया है। जिले में बारिश का सिलसिला जारी है। सबसे अधिक बारिश कपकोट ब्लॉक में हो रही है। इस कारण जिले की 12 सड़कों पर भारी मात्रा में मलबा आ गया। इस कारण यातायात बंद रहा। जिससे दस हजार से अधिक जनसंख्या प्रभावित हो गई है। सरयू का जलस्तर बढ़ गया है और पंपिंग योजनाएं भी प्रभावित होने लगी हैं।
दुग नाकुरी, कपकोट, कांडा आदि स्थानों पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। जिले में रविवार सुबह से बारिश हो रही है। जिसके कारण धरमघर-सनगाड़-बास्ती, असों-बसकुना, कपकोट-पिंडारी ग्लेशियर, बालीघाट-दोफाड़ से चीरा-बेड़ू, बालीघाट-धरमघर, कमेड़ीदेवी-भैसूड़ी, कपकोट-कर्मी-बघर, रिखाड़ी-बाछम, खड़लेख-भनार, चीराबगड़-पोथिंग, तोली, धरमघर-माजखेत, फरसाली, कपकोट-कर्मी, शामा-लीती-गोगिना, शामा-नौकोड़ी, मुनार बैंड-सूपी, कपकोट-लीली मोटर मार्ग पर मलबा आ गया और यातायात बंद हो गया।
हालांकि जिला प्रशासन ने लोडर मशीन लगाकर सड़कों को खोलने का जिम्मा उठाया है। बारिश होने से व्यवधान पैदा हो रहा है। सरयू नदी में पनी कठायतबाड़ा और खरेही पंपिंग योजना भी प्रभावित हो गई है। नदी में भारी मात्रा में सिल्ट आने से पानी ठीक से फिल्टर नहीं हो पा रहा है। जिससे गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। इधर जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि बंद मार्ग को खोलने का काम चल रहा है। जल्दी सभी बंद 12 सड़कें खोल दी जाएंगी। चंपावत जिले में भी सड़कों पर यातायात प्रभावित हुआ है। स्वाला के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग साढ़े चार घंटे बंद रहा। इस दौरान सैंकड़ों यात्री और वाहन जाम में फंसे रहे।
कड़ी मशक्कत के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग में आवाजाही शुरू की जा सकी। स्वाला के समीप पहाड़ी से बीते लंबे समय से मलबा और पत्थर गिर रहे हैं। बावजूद इसके इस संवेदनशील स्थान पर सड़क खोलने के लिए समुचित संसाधन नहीं हैं। इससे सड़क खोलने में दिक्कत हो रही है। एक जेसीबी मशीन तैनात किए जाने को लेकर यात्रियों ने नाराजगी जताई है। जिला आपदा नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार सुबह करीब आठ बजे स्वाला के समीप बड़ी मात्रा में मलबा और पत्थर गिरने से राष्ट्रीय राजमार्ग में आवाजाही बाधित हो गई। इस वजह से जाम में सैंकड़ों यात्री और वाहन फंस गए। कार्यदायी कंपनी ने मलबा और पत्थर हटाने का कार्य शुरू किया।
लेकिन पहाड़ी से गिर रहे पत्थर और घना कोहरा होने की वजह से सड़क से मलबा हटाने में जेसीबी चालक को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कड़ी मशक्कत के बाद दोपहर करीब साढ़े 12 बजे सड़क से मलबा हटा कर आवाजाही सुचारू की जा सकी। आसपास कोई दुकान नहीं होने और बारिश होने से यात्रियों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उधर जाम में फंसे यात्री पूर्व जिला पंचायत सदस्य पुष्कर सिंह बोहरा, प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष गोविंद बोहरा, जिला शासकीय अधिवक्ता भाष्कर मुरारी, मुन्ना ढेक, सुमित मुरारी, ईश्वर सिंह आदि का कहना है कि स्वाला के समीप बने डेंजर जोन में महज एक जेसीबी की तैनाती की गई है।
इससे सड़क खोलने में अनावश्यक देरी हो रही है। लोगों का कहना है कि इसके उलट जिला प्रशासन और राष्ट्रीय राजमार्ग खंड संवेदनशील क्षेत्रों में तीन-तीन मशीनों की तैनाती के दावे करता रहा है। उन्होंने यात्रियों की परेशानी को देखते हुए संवेदनशील क्षेत्रों में समुचित संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की है। एनएच के ईई एलडी मथेला का कहना है कि कोहरा लगने और पहाड़ी से पत्थर गिरने से जेसीबी चालक को खतरा बना हुआ है। इस वजह से सड़क खोलने में देरी हो रही है।