यात्रा के लिए तैयार नहीं हैं राजमार्ग, कहीं-कहीं हाईवे की हालत बेहद खतरनाक

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देहरादून। चारधाम की यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को बदहाल हाईवे पर मुसीबत का सामना करना पड़ेगा। ऑलवेदर रोड परियोजना कार्य के चलते कई जगह हाईवे की स्थिति बेहद खराब है। खासकर चमोली चाड़ा, पागलनाला, गुलाबकोटी, खचड़ा नाला, लामबगड़ नाला और रड़ांग बैंड में हाईवे स्थिति बेहद नाजुक है। रुक-रुककर हो रही भारी बारिश से इन क्षेत्रों में मलबा हाईवे पर आ रहा है। यहां हाईवे बाधित होने पर घंटों जाम लगा रहता है।

खचड़ा और लामबगड़ नाला परेशानी का सबब
लामबगड़ भूस्खलन क्षेत्र में खचड़ा और लामबगड़ नाला परेशानी का सबब बना हुआ है। यहां बारिश होने पर नाले उफान पर आ जाते हैं और छोटे वाहन भी नाले में फंस जाते हैं। एक सप्ताह पूर्व खचड़ा नाले में एक कार ही डूब गई थी। वहीं, पागलनाला में भी बार-बार मलबा आ रहा है। बीते एक माह से यहां हाईवे के बंद होने और खुलने का सिलसिला जारी है।

क्षेत्रपाल और गुलाबकोटी भूस्खलन क्षेत्रों में भी बारिश होने पर मलबा और बोल्डर हाईवे पर आ रहे हैं। चमोली चाड़े पर इन दिनों चट्टान कटिंग का काम चल रहा है, जिससे यहां हाईवे बेहद संकरा हो गया है। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना का कहना है कि हाईवे पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधिकारियों को भूस्खलन क्षेत्रों में जेसीबी मशीनें व मेन पावर की तैनाती के निर्देश दे दिए गए हैं।

मार्ग चारधाम यात्रा के लिए तैयार नहीं
आज से चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। लेकिन चारधाम यात्रा मार्ग यात्रा के लिए तैयार नहीं है। श्रीनगर में राजमार्ग पर जगह-जगह मलबे के ढेर लगे हुए हैं। हल्की बरसात या तेज धूप मेें चट्टान सड़क पर धड़ाम हो जाती है। ऐसे में यात्रियों को जाम से जूझना पड़ सकता है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) के अनुसार, वर्तमान में सिर्फ यातायात चालू रखने के लायक राजमार्ग को खोला गया है। चारधाम यात्रा के लिए बजट की जरूरत है ताकि युद्ध स्तर पर मलबा हटाने का काम किया जा सके। 

ट्रीटमेंट के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने दीर्घकालिक योजना बनाई
बदरी-केदार यात्रा के मुख्य मार्ग ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे की बात करें तो तपोवन से रुद्रप्रयाग तक इसकी हालत बहुत खराब है। बारिश होने पर कई दिनों तक बंद रहना आम बात हो गई है। इस मार्ग पर 20 से 22 ऐसे भूस्खलन प्रभावित जोन विकसित हो गए हैं, जो कभी भी बंद हो जाते हैं। इनके ट्रीटमेंट के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने दीर्घकालिक योजना बनाई है। इसको मंजूरी मिलने और क्रियान्वयन होने में काफी वक्त लगेगा। तोताघाटी, कौड़ियाला, सिंगटाली, महादेव चट्टी, शिवमूर्ति, भरपूर, नरकोटा, सिरोहबगड़, कलियासौड़ व चमधार जैसे क्षेत्र यातायात के लिए समस्या बने हुए हैं।

ज्यादातर स्थानों में मलबे के ऊपर या पहाड़ी काटकर अस्थायी रूप से सिंगल लेन का रास्ता बनाया गया है। सबसे बड़ा खतरा लूज रॉक हैं। चौड़ीकरण के दौरान पहाड़ियां कमजोर गई हैं जो किसी भी समय गिर सकती हैं। मलबा हटाने और रिस्टोरेशन के लिए करोड़ों रुपयों की जरूरत है लेकिन पीडब्लूडी एनएच खंड को मानसून काल से पूर्व मलबा हटाने के लिए मशीन लगाने को सिर्फ 15 लाख रुपये मिले हैं। 

इस बार बरसात में राजमार्ग पर बहुत ज्यादा भूस्खलन हुआ है। हमें यात्रा के हिसाब से तैयारी करनी होगी। इसके लिए बजट की जरूरत है। सड़क से मलबा हटाना होगा। पुश्तों का निर्माण भी किया जाना है। 15 लाख रुपये मिले थे। इससे सड़क खोलने का काम हो रहा है। यात्रा के लायक अभी राजमार्ग तैयार नहीं है। जरूरतों के संबंध में मंत्रालय को रिपोर्ट दे दी गई है।
-राजीव शर्मा, सहायक अभियंता, पीडब्लूडी एनएच खंड श्रीनगर

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