प्रदेश में नौकरशाही को ढर्रे पर लाने में जुटे युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आखिरकार सूझबूझ के चलते पहला मोर्चा फतह कर लिया। नेतृत्व के मसले पर पार्टी में वरिष्ठता पर युवा को तवज्जो दिए जाने से खफा मंत्री विभागों के बंटवारे के बाद संतुष्ट दिख रहे हैं। मंत्रियों की वरिष्ठता और अनुभव के बूते धामी की नई सियासी पारी में मिशन 2022 की रणनीति झलकी है।मंत्रिमंडल की पहली बैठक में युवाओं में जोश फूंकने के फैसले और आधा दर्जन संकल्पों में भाजपा के एजेंडे को मुख्यमंत्री धामी ने साधा। वहीं ये इरादा भी जाहिर कर दिया कि वह 2017 के बाद अब तक भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह सरकार और तीरथ सरकार के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किए गए फैसलों को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। मंत्रियों को विभागों के बंटवारे में धामी ने जो प्रयोग किया है, उसका निहितार्थ भी यही है। विभाग देने से ठीक पहले मंत्रियों को जिलों के प्रभार सौंपने में भी धामी ने रणनीतिक कौशल की झलक पेश की है।
क्षेत्रीय व जातीय संतुलन को तरजीह
मुख्यमंत्री धामी ने पोर्टफोलियो वितरण में मंत्रियों के अनुभव के साथ क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधा। धामी खुद ऊधमसिंहनगर जिले के खटीमा से विधायक हैं। उनका गृह जिला पिथौरागढ़ है। विभागों के बंटवारे में जिन पांच मंत्रियों का वजन बढ़ाया गया है, उनमें गढ़वाल से तीन, ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार से एक-एक मंत्री शामिल हैं। पिछली तीरथ सिंह रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बंशीधर भगत और बिशन सिंह चुफाल को दिए गए महत्वपूर्ण विभागों में किसी तरह का फेरबदल नहीं किया गया। धामी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, अरविंद पांडेय, गणेश जोशी के साथ ही कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत रेखा आर्य के विभाग यथावत हैं। हरिद्वार जिले से स्वामी यतीश्वरानंद को ग्राम्य विकास जैसा वजनी विभाग दिया गया है।
विभागों के बंटवारे की ये रही कसौटी
मुख्यमंत्री धामी ने पोर्टफोलियो वितरण को लेकर खुद भी मशक्कत की। मंत्रियों के साथ डिनर डिप्लोमेसी को नाराजगी दूर करने की कामयाब कोशिश का असर पोर्टफोलियो बांटने में भी नजर आया है। मंत्रियों के अनुभव, वरिष्ठता के साथ योग्यता व क्षमता को भी परखा गया। जनाधार और पार्टी में सक्रियता व संघ निष्ठा ने भी वजनी विभागों के मुख्यमंत्री की पोटली से बाहर आने में भूमिका निभाई है।