उत्तराखंड अध्यापक पात्रता परीक्षा (यूटीईटी) प्रथम और द्वितीय के प्रमाणपत्र अब सात साल के बजाय आजीवन वैध माने जाएंगे। यह वैधता 11 फरवरी 2011 से लागू मानी जाएगी। यूटीईटी प्रमाणपत्रधारक भी उत्तराखंड बोर्ड में आवेदन कर कागजों पर आजीवन वैधता की मुहर लगवा सकते हैं।उत्तराखंड में करीब 70 हजार से अधिक यूटीईटी प्रमाणपत्रधारक हैं। इनमें कई अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिनके प्रमाणपत्र की वैधता समाप्त हो चुकी है। उन यूटीईटीधारकों के मन में सवाल है कि उनके प्रमाणपत्र की वैधता आजीवन कैसे मानी जाएगी। ऐसे में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद(उत्तराखंड बोर्ड) इन यूटीईटी धारकों के प्रमाणपत्र पर आजीवन वैधता की मुहर लगा रहा है। यदि कोई युवा आवेदन नहीं करता है तो वह बोर्ड की वेबसाइट से आजीवन मान्यता देने वाला शासनादेश डाउनलोड कर सकता है। शासनादेश की कॉपी की भी मान्यता रहेगी।
बता दें कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा(सीटीईटी) के साथ ही राज्यों में होने वाले टीईटी के प्रमाणपत्रों को भी आजीवन वैध करने का आदेश दिया था। राज्य सरकार के निर्देशों के क्रम में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर ने अपने यहां से टीईटी पास लोगों के प्रमाणपत्रों की वैधता आजीवन करने का आदेश जारी कर दिया है।
2011 से शुरू हुई थी यूटीईटी की परीक्षाएं
प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक बनने के लिए टीईटी प्रथम व द्वितीय की परीक्षा में पास होना अनिवार्य है। उत्तराखंड में वर्ष 2011 से टीईटी शुरू हुई थी। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर की ओर से आयोजित होने वाली टीईटी के प्रमाणपत्र की वैधता अवधि सात साल तक थी। प्रदेश में अब तक नौ बार टीईटी की परीक्षा हो चुकी है। बोर्ड आगामी 26 नवंबर को दसवीं बार यूटीईटी कराएगा।
जून से उत्तराखंड में यूटीईटी के प्रमाणपत्रों की वैधता आजीवन करने का आदेश जारी कर दिया है। यदि कोई यूटीईटी प्रमाणपत्र धारक बोर्ड में आवेदन करता है तो उसके प्रमाणपत्रों पर आजीवन वैधता की मुहर लगाई जाएगी। भविष्य में प्रमाणपत्रों पर आजीवन वैधता अंकित रहेगा।
-बीएमएस रावत, अपर सचिव, उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद