राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत प्रदेश में संचालित 33 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों पर भी कोविड की मार पड़ी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समूहों से जुड़ी महिलाओं से वादा किया है कि रक्षाबंधन के बाद वे कोई न कोई सौगात जरूर देंगे। इन समूहों से ढाई लाख महिलाएं जुड़ी हैं। मुख्यमंत्री समूहों के साथ संवाद कर रहे थे। इस दौरान उन्हें फीडबैक मिला कि कोरोनाकाल में उद्यमियों के साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों की मुश्किलें भी बढ़ी हैं। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों को और मजबूती देगी। उन्होंने सुझाव दिया कि समूहों को उनके उत्पादों की अच्छी कीमत मिल सके, इसके लिए जरूरी है कि मांग आधारित उत्पादन किया जाए। कोशिश की जाएगी कि समूहों का टाइअप बड़ी कंपनियों से हो।
महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों ने सुझाव भी दिए। कुछ समूहों ने मुख्यमंत्री को अपने उत्पाद भी भेंट किए। कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों के बैंक लिंकेज, वैल्यू एडीशन, प्रशिक्षण और गुणवत्ता सुधार पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
बाजार की मांग आधारित उत्पाद बनाए जाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों को उनके उत्पादों की बेहतर कीमत मिल सके, इसके लिए बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादन किए जाने की जरूरत है। निजी बड़ी कंपनियों के साथ समूहों के ज्वाइंट वेंचर की संभावनाएं भी देखी जाएंगी।
स्वरोजगार के लिए कैंप लगाए जाएंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी नौकरियां सीमित होती हैं, इसलिए राज्य सरकार का खाली पदों पर भर्ती के साथ ही लाखों लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने पर भी फोकस है। लोगों को बहुत बार औपचारिकताएं पूरी न होने के कारण बैंक से ऋण स्वीकृत नहीं हो पाता है। इन समस्याओं को देखते हुए हमने कैंप लगाने के निर्देश दिए हैं।
10 से 15 हजार रिवाल्विंग फंड मिलता है
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार के मुताबिक, आजीविका मिशन 13 जिलों के 95 विकासखंडों में संचालित हो रहा है। 33 हजार से अधिक महिला स्वयं सहायता समूह इससे जुड़े हैं। लगभग 2.50 लाख महिलाएं इन समूहों की सदस्य हैं। प्रत्येक समूह को 10 से 15 हजार की धनराशि का रिवाल्विंग फंड उपलब्ध करवाया जाता है।