राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के दो वर्ष हुए पूरे

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देहरादून। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त 2018 को उत्तराखण्ड राज्य की 7वीं राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी। 26 अगस्त, 2020 को राज्यपाल  मौर्य के कार्यकाल का द्वितीय वर्ष पूर्ण हो रहा है। राज्यपाल पद पर शपथ ग्रहण करने के उपरांत मौर्य ने कहा था कि संविधान की मर्यादा का निर्वहन करते हुए वे अपने कत्र्तव्यों का पालन करेंगी। बालिका शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण, गरीब और वंचितों का कल्याण यह उनकी प्राथमिकताओं में सम्मिलित हैं।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री  द्वारा 15 अगस्त, 2019 को घोषित ‘जल जीवन मिशन-हर घर जल’ भी राज्यपाल  मौर्य की शीर्ष प्राथमिकता है। वें ‘जल जीवन मिशन’ हेतु गठित राज्यपाल समूह की सदस्य भी हैं और गत वर्ष राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपाल सम्मेलन में उन्होंने इस पर एक प्रस्तुतीकरण भी दिया था। उत्तराखण्ड के भी कई जनपद जल संकट की दृष्टि से संवेदनशील हैं इसलिये राज्यपाल मौर्य ने इस मिशन को बहुत गंभीरता से लिया ।

राज्य के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर अपने संवैधानिक दायित्वों का गरिमापूर्वक निर्वहन करते हुए राज्यपाल  मौर्य ने अपने लम्बे प्रशासनिक तथा सार्वजनिक जीवन के अनुभव का लाभ राज्य की प्रगति व विकास में दिया है।
गत दो वर्षों के अपने कार्यकाल के दौरान राज्यपाल  मौर्य ने महिला सशक्तिकरण, बच्चों के कल्याण, महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन, पर्यावरण संरक्षण, महिलाओं में स्वरोजगार को बढ़ावा देने, जैविक खेती को प्रोत्साहित करने, नशे के विरूद्ध युवाओं को जागरूक करने पर विशेष बल दिया।
राज्यपाल  मौर्य ने पिछले दो वर्षों में प्रदेश के सभी जनपदों का व्यापक भ्रमण किया है। जनपद भ्रमण के दौरान उन्होंने सदैव वहाँ की महिलाओं और ग्रामीणों से भेंट की है। महिला स्वयं सहायता समूहों का उत्साह बढ़ाया है। राज्यपाल  मौर्य का दृढ़ विचार है कि महिला स्वयं सहायता समूहों के द्वारा प्रदेश में महिलाओं की आर्थिकी को सुधारा जा सकता है। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2020 के अवसर पर  मौर्य ने राज्यभर के श्रेष्ठ महिला स्वयं सहायता समूहों को सम्मानित किया।
राजभवन में अतिथियों को भेंट करने हेतु या राजभवन के उपयोगार्थ वस्तुओं को भी प्राथमिकता के आधार पर महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा ही लेने का निर्णय लिया गया।
राज्यपाल  मौर्य ने अगस्त 2019 में राजभवन में ’‘महिला सुरक्षा एवं सशक्तीकरण’’ पर एक कार्यशाला आयोजित की जिसमें राज्य की विभिन्न आई.ए.एस, आई.पी.एस, आई.एफ.एस, पी.सी.एस, सचिवालय सेवा पुलिस एवं अन्य सेवाओं की महिला अधिकारी सम्मिलित थीं। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य न सिर्फ महिला अधिकारियों का उत्साहवर्द्धन था बल्कि उन्हें महिलाओं के प्रति उनके कत्र्तव्यों हेतु जागरूक, संवेदनशील और प्रेरित करना भी था।
राज्यपाल  मौर्य ने समय-समय पर विभिन्न मंचों से ड्रग्स के विरुद्ध भी आवाज उठाई है। उन्होंने स्कूली विद्यार्थियों और प्रधानाचार्यों की नैनीताल में एक बैठक ली। राजभवन देहरादून में अगस्त 2019 में एक ‘एण्टी ड्रग्स’ कार्यशाला का आयोजन भी किया जिसमें पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
महिला एवं बाल विकास कार्यक्रमों के प्रति राज्यपाल  मौर्य की संवेदनशीलता उनके प्रत्येक कार्यक्रम में दिखाई पड़ती है। प्रधानमंत्री कुपोषण उन्मूलन अभियान के प्रोत्साहन हेतु उन्होंने स्वयं एक अति कुपोषित बालिका को गोद लिया है, जिसका पिछले 10 महीनों में नियमित राजभवन एवं दून अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। राज्यपाल  मौर्य ने स्कूलों के प्रधानाचार्यों के कार्यक्रम में बालिकाओं के लिए अलग से शौचालय बनाने हेतु निर्देश दिये। कोविड-19 के लाॅकडाउन में विभिन्न गावों और कन्टेनमेण्ट जोन में बालिकाओं और महिलाओं के लिए 2000 से अधिक सैनेटरी पैड वितरित करवाये।

प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति होने के नाते राज्यपाल  मौर्य का राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने तथा विश्वविद्यालयों को नीति-निर्माण में सहायक बनाने पर विशेष बल है। राज्यपाल ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की है कि वे मौलिक शोध तथा अध्ययन को बढ़ावा दें। राज्यपाल  मौर्य का मानना है कि विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों का असर ‘लैब’ से निकल कर ’लैण्ड’ तक पहुँचे। राज्य के पंतनगर और भरसार कृषि एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालयों को किसानों की आय दो गुनी करने, जैविक कृषि को बढ़ावा देने, फल एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु प्रेरित किया है।

राज्यपाल  मौर्य प्रत्येक तीन-चार माह में एक बार कुलपतियों की बैठक आयोजित कर अपने विचार साझा करती हैं। कोरोना लाॅकडाउन में भी उन्होंने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से कुलपतियों से नियमित वार्तालाप किया और आॅनलाइन शिक्षा, सामुदायिक सेवा, परीक्षाओं के आयोजन आदि के संबंध में उनको निर्देश दिये।

राज्यपाल  मौर्य जन स्वास्थ्य के प्रति भी सदैव सजग रही है। गत वर्ष डेंगू के प्रकोप के समय उन्होंने कई बार स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य महानिदेशक, डी0एम, नगर आयुक्त आदि को राजभवन बुलाकर आवश्यक निर्देश दिये। कोरोना वायरस की आपदा के समय भी राज्यपाल  मौर्य ने सक्रियता दिखाई। वे स्वयं दून कोविड अस्पताल तथा ग्राफिक एरा क्वारंटीन सेण्टर पहुँची तथा वहाँ डाॅक्टर, नर्स, रोगियों से बातचीत की और उनका हौसला बढ़ाया।
राज्यपाल  मौर्य ने प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थित क्वारंटीन सेण्टरों, कोविड अस्पतालों, लैब में कार्यरत डाॅक्टर, नर्सों, टेक्नीशियनों से नियमित रूप से बातचीत की है तथा उनका फीडबैक भी लिया है। उन्होंने वीडियो काॅल के माध्यम से रोगियों से भी नियमित बात की है।
एक अनूठी मानवीय पहल करते हुए उन्होंने कोविड संक्रमण से मरने वाले व्यक्तियों के अंतिम दर्शन एवं संस्कार हेतु मुख्य सचिव को पत्र लिखकर ‘स्टैण्डर्ड आॅपरेटिंग प्रासीजर’ जारी करने के निर्देश दिये। बहुत कम लोग जानते हैं कि राज्यपाल  मौर्य ने 5 टी.बी.रोगियों की देखभाल का जिम्मा उठा रखा है। प्रदेश में रक्तदान शिविरों पर भी विशेष ध्यान देती हैं।

उत्तराखण्ड की स्थानीय लोक संस्कृति एवं भाषा के प्रति  मौर्य अत्यंत संवेदनशील हैं। राजभवन में प्रति वर्ष आयोजित होने वाले गवर्नर्स रिसर्च अवाॅर्ड में उन्होंने लोक भाषा-संस्कृति के संवर्द्धन से संबंधित शोध कार्य हेेतु एक नई कैटेगरी सृजित की। गर्वनर्स टाॅपर्स अवाॅर्ड के लिए उन्होंने नियमित बोर्ड परीक्षाओं के टाॅपर्स के साथ-साथ संस्कृत बोर्ड के 5 विद्यार्थियों हेतु नई कैटेगरी सृजित की।

कोरोना लाॅकडाउन काल में राज्यपाल मौर्य ने विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं और राजभवन के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न जनपदों में नियमित रूप से खाद्य सामाग्री एवं राशन, सैनेटाइजर, माॅस्क आदि वितरित करवाये हैं। रेडक्राॅस संस्था की प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने इस आपदा में रेडक्राॅस के स्वयंसेवियों को नियमित प्रेरित किया। रेडक्राॅस के द्वारा लाॅकडाउन अवधि में 30 हजार से अधिक मास्क, 8 हजार से अधिक ग्लब्ज, 5 हजार सेनिटाइजर, 2 हजार से अधिक पी.पी.ई किट, 8 सौ यूनिट से अधिक रक्तदान एवं 5 हजार से अधिक राशन किट जरूरत मदों को वितरित किये गये। चार आपदा प्रभावित जनपदों में राहत सामाग्री एवं 1000 सेनेटरी पैड भी भेजे।

राज्यपाल  मौर्य समाज के अनुसूचित जाति जनजाति एवं गरीब वर्ग के प्रति सदैव कार्य करती रहती हैं। वे नियमित रूप से वाल्मीकि-गरीब बस्तियों में जाती हैं और वहाँ बच्चों-महिलाओं से मिलती हैं उनकी समस्यायें जानती हैं और उनका निराकरण भी करती हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिन, दीपावली और नव वर्ष के अवसर पर वाल्मीकि बस्तियों का दौरा किया है। गरीब बच्चों को उपहार एवं मिठाईयाँ वितरित की हैं। टिफिन और छाते उपहार स्वरूप दिये हैं। राज्यपाल ने राज्य के प्रत्येक जनपदों में अपनी निगरानी में कम से कम एक अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्राम को माॅडल विलेज बनाने का निर्णय लिया है। 26 अगस्त को वे इसका प्रारंभ देहरादून के झाझरा ग्राम से कर रही हैं।

राज्यपाल  मौर्य उत्तराखण्ड की स्थानीय खाद्य संपदा, उपज, जड़ी-बूटी को सदैव प्रोत्साहित करती हैं। योग-आयुर्वेद की वे प्रबल समर्थक हैं। उनके प्रोत्साहन पर उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने स्कूली बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा उनके मानसिक विकास के लिए ‘स्वर्ण प्राशन’ का अभियान प्रारंभ किया है। इस अभियान को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा भी सराहना मिली है।

राज्यपाल मौर्य पर्यावरण संरक्षण तथा वृक्षारोपण के प्रति विशेष ध्यान रखती हैं। राज्यपाल विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विद्यालयों के प्रत्येक भ्रमण कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं से पर्यावरण संरक्षण तथा वृक्षारोपण की अपील करती हैं। बच्चों को पेड़ लगाने के लिए सदैव प्रोत्साहित करती हैं। गत दो वर्षों में राज्यपाल  मौर्य द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने वाली विभिन्न सामाजिक संस्थाओं को समय-समय पर प्रोत्साहित किया गया। उन्होंने राजभवन में पालिथीन निषेध और ग्रीन वर्क कल्चर को बढ़ावा दिया है।