नैनीताल | कोरोना काल में खराब वित्तीय हालत के बाद सरकार ने उच्च न्यायालय में पैरवी को नियुक्त अधिवक्ताओं को हटाना शुरू कर दिया है। महाधिवक्ता से विचार विमर्श के बाद सरकार द्वारा इन अधिवक्ताओं की आबद्धता खत्म कर दी गई है। साफ किया गया है यह एक व्यावसायिक आबन्धन था, सिविल पद पर नियुक्ति नहीं। राज्य के सचिव विधि एवं न्याय एवं विधि परामर्शी प्रेम सिंह खिमाल की ओर से यह सूची जारी की गई है।
जिन अधिवक्ताओं की आबद्धता समाप्त की गई है उसमें, उपमहाधिवक्ता संदीप टंडन, उपमहाधिवक्ता सुधीर कुमार चौधरी, सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रेम सिंह बोहरा, स्थायी अधिवक्ता सुहास रतन जोशी, ब्रीफ होल्डर सीमा साह, गीता परिहार, कल्याण सिंह मेहता, अनिरुद्ध भट्ट, फरीदा सिद्दकी, अतुल बहुगुणा, शिवाली जोशी, सौरभ कुमार पांडेय, दर्शन सिंह बिष्ट, प्रीता भट्ट, उमेश बेलवाल, संगीता भारद्वाज, अक्षय लटवाल समेत 17 अधिवक्ता शामिल हैं।
आबद्धता समाप्त किये जाने वाले छह अधिवक्ता पिछली सरकार में भी सरकारी अधिवक्ता थे। जबकि सूची में भाजपा व संघ के पदाधिकारियों के निकट के लोग भी शामिल हैं। सूची जारी होते ही आबद्धता समाप्त होने वाले अधिवक्ताओं में सरकार के रवैये को लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कोरोना काल में वैसे ही उनका काम प्रभावित हुआ है। अधिवक्तागण सरकार के इस फैसले का मुखर होकर विरोध कर सकते हैं।