देहरादून।1971 में पाकिस्तान से हुई जंग में अदम्य साहस का परिचय देने वाले चार जाबांजों के घर स्वर्णिम विजय मशाल पहुंचने वाली है। इसमें दो सेनानी कालाढूंगी और दो रामनगर के रहने वाले हैं। हालांकि, 71 के युद्ध में हिस्सा लेने वाले इन चारों जवानों का पहले में निधन हो चुका है। जिस वजह इनकी पत्नी यानी वीरनारी स्वर्णिम विजय मशाल को रिसीव करेंगे। शाम को विजय मशाल दोबारा हल्द्वानी कैंट पहुंच जाएगी।
1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत ने ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। हजारों की संख्या में दुश्मन सैनिकों व अफसरों ने आत्मसमर्पण किया था। इस जीत की 50वीं वर्षगांठ पर पीएम मोदी ने स्वर्णिम विजय मशाल को 16 दिसंबर को दिल्ली से रवाना किया। बुधवार को शहीद स्मारक पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वहीं, गुरुवार सुबह विजय मशाल सैन्य वाहनों के काफिले संग रामनगर व कालाढंूगी के लिए रवाना हो गई। पहले रामनगर फिर कालाढूंगी में सेना द्वारा कार्यक्रम किया जाएगा।
इन योद्धाओं के घर पहुंचेगी मशाल : सिपाही ध्यान सिंह बसेड़ा निवासी ग्राम प्रतापपुर चकलुवा, हवलदार शेर सिंह, ग्राम पूरनपुर देवलचौड़ कालाढूंगी, हवलदार मनीराम निवासी गैस गोदाम रोड रामनगर व नायक लीलांबर पांडे निवासी ग्राम गंगोत्री विहार रामनगर। वीरनारी माधवी देवी, कलावती देवी, किशोरी देवी व मुन्नी देवी इस मशाल को पकड़ेंगी। वहीं, कल यानी शुक्रवार को हल्द्वानी में रहने वाले 1971 के योद्धाओं के घर पर मशाल ले जाई जाएगी। इसमें वीर चक्र विजेता कर्नल एमएस चौहान भी शामिल है।