कोरोना की दूसरी लहर में अस्तित्व पर आए संकट को दूर करने में जुटे रोडवेज के लिए राहत की खबर है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को रोडवेज को बीस करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देने की फाइल मंजूर कर ली। इससे अगले हफ्ते तक रोडवेज कर्मियों को एक महीने यानी जनवरी का वेतन मिल जाएगा। वहीं, कोरोना संक्रमण कम होने के चलते दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ आदि के लिए पिछले डेढ़ महीने से बंद पड़ा अंतरराज्यीय बस संचालन दोबारा शुरू करने की तैयारी चल रही। हिमाचल ने 14 जून से, जबकि उत्तर प्रदेश ने 15 जून से बस परिवहन सेवा शुरू करने की सैद्धांतिक सहमति दी है। अगर इन दोनों राज्यों ने बस शुरू की तो उत्तराखंड भी अंतरराज्यीय बस संचालन शुरू कर देगा।
कोरोना कर्फ्यू के कारण अंतरराज्यीय बस संचालन बंद होने से खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहे रोडवेज मुख्यालय ने सरकार से जनवरी का वेतन देने के लिए पर्वतीय मार्गों पर बस संचालन से होने वाले घाटे की मद से 20 करोड़ रुपये एडवांस मांगे थे। इससे जुड़ी फाइल परिवहन सचिव ने मंजूर करते हुए वित्त सचिव को भेजी थी। वित्त सचिव ने फाइल मंजूर कर मुख्यमंत्री कार्यालय को पिछले हफ्ते भेज दी थी। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मदद स्वीकृत कर दी। रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन के अनुसार संभवत: सोमवार को इस संबंध में शासनादेश हो जाएगा और उसके तीन-चार दिन बाद धनराशि रोडवेज के खाते में पहुंच जाएगी। इससे कर्मचारियों को एक माह का वेतन दिया जाएगा।पिछले करीब सवा साल से रोडवेज राज्य सरकार से मिली मदद के आधार पर वेतन दे रहा है। दरअसल, गत वर्ष मार्च में लगा लाकडाउन और उसके बाद बस संचालन न होने से रोडवेज का घाटा बढ़ता चला गया। गत वर्ष अक्टूबर-नवंबर में बस संचालन ने कुछ गति पकड़ी थी, लेकिन इस वर्ष अप्रैल में बढ़े कोरोना संक्रमण न फिर इसकी गति रोक दी। मौजूदा समय में अंतरराज्यीय बस संचालन पूरी तरह बंद है व सूबे के भीतरी मार्गों पर महज 150 बसों का संचालन हो रहा है। इनमें भी यात्रियों की संख्या 50 फीसद से भी कम है। जिस कारण डीजल का खर्च भी नहीं निकल रहा। स्थिति ये है कि रोडवेज प्रबंधन पर इस वक्त जनवरी से मई तक पांच माह का वेतन लंबित है। इस स्थिति में कर्मचारियों को उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है।