देहरादून जिले में बनने वाली दो बड़ी परियोजनाओं को जल्द ही पंख लगने वाले हैं। एक ओर जहां केंद्र सरकार यमुना पर बन रही लखवाड़ परियोजना को 4673 करोड़ की स्वीकृति देगी तो दूसरी ओर सौंग नदी पर बनने वाली किसाऊ परियोजना का भी छह राज्यों के बीच संशोधित एमओयू साइन किया जाएगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से शिष्टचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना की भारत सरकार से वित्तीय स्वीकृति प्रदान करवाने और किसाऊ परियोजना का संशोधित एमओयू किए जाने का अनुरोध किया। इस पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना की भारत सरकार से जल्द वित्तीय स्वीकृति दी जाएगी।
किसाऊ परियोजना पर संबंधित राज्यों की संयुक्त बैठक की जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने किसाऊ परियोजना के संशोधित एमओयू के लिये भी आश्वस्त किया। यह भी निर्णय लिया गया कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में जल जीवन मिशन की जल्द ही संयुक्त समीक्षा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से पीएमकेएसवाई योजना के अंतर्गत पर्वतीय राज्यों के लिए मानकों में परिवर्तन या शिथिलीकरण प्रदान किए जाने का आग्रह किया। साथ ही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत 422 लघु सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति निर्गत किए जाने का भी अनुरोध किया।
लखवाड़ को 4673 करोड़
मुख्यमंत्री ने देहरादून में यमुना नदी पर स्थित 300 मेगावाट की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना पर चर्चा करते हुए कहा कि परियोजना निर्माण हेतु सभी वांछित स्वीकृतियां प्राप्त हैं। वित्तीय सहायता हेतु भारत सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति से स्वीकृति एवं केन्द्रीय अनुदान प्राप्त होते ही इस राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जा सकता है। जल संसाधन मंत्रालय द्वारा लखवाड़ परियोजना की तकनीकी स्वीकृति तीन जनवरी 2013 तथा निवेश स्वीकृति अप्रैल 2016 में दी गईं। सरकार द्वारा निर्गत निवेश स्वीकृति के अंतर्गत परियोजना की कुल अनुमानित लागत 5747.17 करोड़ में से जल घटक 4673.01 करोड़ (81.30%) का वित्त पोषण भारत सरकार द्वारा 90:10 के अनुपात में किया जाना है। शेष 1074.00 करोड़ (18.70%) जो कि ऊर्जा घटक है, का वित्त पोषण उत्तराखंड सरकार द्वारा किया जाएगा।
किसाऊ परियोजना जल्द पकड़ेगी रफ्तार
मुख्यमंत्री ने किसाऊ परियोजना की विद्युत घटक लागत एवं जल घटक लागत को भविष्य में परियोजना की कुल पुनरीक्षित लागत के सापेक्ष क्रमश: 13.3 प्रतिशत व 86.7 प्रतिशत पर स्थिर करने का अनुरोध किया। उत्तराखंड और हिमाचल को बिना किसी बाधवार सीमा के अपने जलांश का उपयोग करने और अपने जलांश के अनुपयोगी जल को (यदि कोई हो) किसी भी राज्य को विक्रय किया जाने की अनुमति हो। उत्तराखंड को पूर्व में अपर यमुना रीवर बोर्ड द्वारा आवंटित जलांश 3.814 प्रतिशत से कम न किया जाए। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से किशाऊ बहुउद्देशीय बांध परियोजना के कार्यान्वयन को गति प्रदान करने हेतु उक्त संशोधनों के साथ अंतर्राज्यीय समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किये जाने के संबंध में अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि किसाऊ परियोजना पर संबंधित राज्यों की संयुक्त बैठक की जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने किसाऊ परियोजना के संशोधित एमओयू का भी आश्वासन दिया।
इन परियोजनाओं को भी लगेंगे पंख
मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (सीएसएस-एफएमपी) के अंतर्गत निर्माणाधीन 12 योजनाओं के लिए अवशेष केंद्रांश 29.52 करोड़ रुपये की राशि अवमुक्त करने और 38 नई बाढ़ सुरक्षा योजनाओं अनुमानित लागत 1108.38 करोड़ रुपये की इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस की स्वीकृति देने का अनुरोध किया। मंत्री ने आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की दुर्गम स्थिति को देखते हुए पीएमकेएसवाई- हर खेत को पानी योजना के अन्तर्गत पर्वतीय राज्यों के लिए मानकों में परिवर्तन या शिथिलीकरण प्रदान किया जाना चाहिए। सर्फेस माइनर इरीगेशन स्कीम में नहरों की पुनरोद्धार/जीर्णोद्वार, सृदृढीकरण तथा विस्तारीकरण की योजनाओं को भी स्वीकृति प्रदान की जाए। पर्वतीय क्षेत्रों में नहर निर्माण की लागत अधिक होने के कारण वर्तमान प्रचलित गाईड लाईन 2.50 लाख रूपए प्रति हेक्टेयर लागत की सीमा को बढ़ाकर 3.50 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर किया जाना चाहिए। बैठक में उत्तराखंड के मुख्य स्थानिक आयुक्त ओमप्रकाश, स्थानिक आयुक्त डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम भी मौजूद रहे।