लोहारी:बिस्सू मेले के उल्लास पर बांध ने फेरा पानी, कुलदेवता का मंदिर भी जलमग्न

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जौनसार का प्रमुख पर्व बिस्सू गुरुवार को है। क्षेत्र के गांवों में बिस्सू की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। लोग अपने घरों को सजा रहे हैं। बाजार से खरीदारी में व्यस्त हैं। व्यापारी मेलों की तैयारी में जुटे हुए हैं। लेकिन लोहारी में जिस ‘पांडवों की ठौर’ पर मेला लगना था, जहां, हारुल और तांदी की धूम मचनी थी।

वह स्थान झील में समा गया है। गांव में शरणार्थी जैसा जीवन बिता रहे, ग्रामीणों की समझ में नहीं आ रह है कि, संकट की इस घड़ी में उल्लास का पर्व बिस्सू कैसे मनाएं।  ग्रामीणों ने बताया कि, बांध की झील में समाए पांडवों ठौर में भीम की गदा, अर्जुन का गांडीव, नकुल सहदेव की तलवार, युद्धिष्ठर का भाला, द्रोपदी का कटार रखा जाता था।

साल में यहां दो बार मेला लगता था। जिसमें चौदह अप्रैल को बिस्सू मेला लगना था। लेकिन अब यह सब इतिहास बन गया है। कुलदेवता का मंदिर भी जलमग्न पांडवों की ठौर के पास ही काली का मंदिर और कुल देवता चिनपुणियां का मंदिर था। जहां हमेशा पूजा अर्चना होती थी। वह भी बांध में डूब गया।

जूनियर हाईस्कूल में शरण लिए हुए ग्रामीणो के सामने रात काटने का संकट पैदा हो गया है। कमरों में जगह कम पड़ जाने के कारण लोग स्कूल के प्रांगण में ही खाना बना रहे हैं और कई लोग खुले में ही सो रहे हैं। लोहारी गांव के लोगों गांव में ग्रामीणों की करीब 116 बीघा जमीन थी। इस जमीन में करीब एक सौ छह बीघा जमीन पर ग्रामीणों ने गेहूं व जौ की खेती की हुई थी। 

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