देहरादून। विधानसभा सत्र में फ्लोर मैनेजमेंट की चुनौती ही है, जिससे पार पाने के लिए ही सरकार सत्र को एक-दो दिन आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है।
विधानसभा सत्र को लेकर सरकार के सामने दो चुनौतियां हैं। पहली सत्र का संचालन सोशल डिस्टेंस के नियमों का पालन करते हुए हो जाए। दूसरी सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट सटीक रहे। पहली चुनौती का सामना विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल कर रहे हैं और दूसरी चुनौती का सामना खुद नेता सदन या मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को करना पड़ रहा है।
संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद सरकार की चिंता बढ़ गई है। इसी को देखते हुए सरकार की ओर से सत्र को एक-दो दिन आगे खिसकाने पर भी विचार कर रही है।
सत्र को आहूत करने का प्रावधान
– विधानसभा सचिवालय के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के अनुसार सत्र आहूत किया जाता है। राज्य में इस अनुच्छेद को जस का तस स्वीकार किया गया है। यह अनुच्छेद कहता है कि पिछले सत्र के अंतिम दिन और अगले सत्र के पहले दिन के बीच छह माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।
– विधानसभा का पूर्व सत्र देहरादून में 25 मार्च को समाप्त हुआ था। इस हिसाब से सितंबर 25 को छह माह पूरे होंगे।
– दो दिन की राहत से कितना फायदा मिलेगा। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि सरकार फ्लोर मैनेजमेंट को बेहतर रखने के लिए किस तरह की रणनीति अपनाती है। अगर इससे खास फर्क नहीं पड़ता तो सरकार को किसी अन्य विकल्प पर काम करना होगा।
सत्र को आगे खिसकाने की अभी कोई योजना नहीं है। सत्र 23 मार्च से प्रस्तावित है और इसी दिन से होगा। इसी के आधार पर तैयारी भी की जा रही है। – प्रेमचंद अग्रवाल, विधानसभा अध्यक्ष
छह माह की गणना अंतिम सत्र के आखिरी दिन और वर्तमान सत्र के पहले दिन से की जाती है। इस तरह से गणना की जाए तो सत्र को 25 मार्च तक होना चाहिए। – महेश चंद्र, पूर्व सचिव, विधानसभा