देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में विकराल हो रही आग को नियंत्रित करने के लिए एयर फोर्स के हेलीकॉप्टरों ने मोर्चा संभाल लिया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के अनुरोध पर केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को पहुंचे एमआई-17 हेलीकॉप्टर ने जंगलों में पानी का छिड़कार शुरू कर दिया है।
आज हेलीकॉप्टर ने पौड़ी के पोखड़ा, खिर्सू, दमदेवल और टिहरी के रिंगोली और धारकोट में आग पर पानी का छिड़काव शुरू कर दिया है। मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल सुशांत पटनायक ने बताया कि एक हेलीकॉप्टर श्रीनगर पहुंचा है। यहां से पौड़ी और टिहरी के जंगलों में पानी डाला जाएगा।
पहले दिन किया था 20 हजार लीटर पानी का छिड़काव किया
सोमवार को दिन भर चले एयर ऑपरेशन में नरेंद्र नगर वन रेंज के जंगलों में भड़की आग को बुझाया गया था। कोटी कॉलोनी, टिहरी झील से पांच हजार लीटर की बकेट में पानी भरकर हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी। प्रभावित वन क्षेत्र में चार सोटियों के माध्यम से 20 हजार लीटर पानी का छिड़काव कर वनाग्नि को नियंत्रित किया गया। एयर ऑपरेशन दोपहर 12:40 बजे तक जारी रहा। बाद में प्रतिकूल मौसम के कारण ऑपरेशन को रोकना पड़ा। मंगलवार सुबह दोबारा ऑपरेशन शुरू किया गया है। इस संपूर्ण ऑपरेशन में वायु सेना के साथ ही उत्तराखंड सरकार के वन विभाग, सिविल एविऐशन विभाग, जिला प्रशासन एवं स्थानीय कर्मचारी भी शामिल हैं।
कुमाऊं में भी आज आग बुझने पहुंचेगा हेलीकॉप्टर
सोमवार को कुमाऊं में खराब मौसम के कारण वनाग्नि पर काबू पाने के लिए हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सका था। हेलीकॉप्टर को सुबह पंतनगर एयरपोर्ट पर पहुंचना था। विजिबिलिटी की दिक्कत के चलते हेलीकॉप्टर पंतनगर नहीं पहुंच सका। डीएफओ ने बताया कि मंगलवार सुबह हेलीकॉप्टर की मदद से भवाली रेंज और अल्मोड़ा के जंगलों में लगी आग को बुझाया जाएगा। भीमताल झील से हेलीकॉप्टर एक चक्कर में पांच हजार लीटर पानी उठाएगा।
अब तक 1400 हेक्टेयर जंगल खाक
प्रदेश के जंगलों में इस बार सर्दियों में ही आग लगनी शुरू हो गई थी। एक अक्टूबर से लेकर पांच अप्रैल तक करीब 1400 हेक्टेयर जंगल आग के हवाले हो चुका है। जंगल की आग के मामले भी 1100 से अधिक हो चुके हैं।
एक से पांच अप्रैल तक 261 मामले
जंगल की आग वैसे मई और जून में भड़कती है। शुष्क मौसम का ही प्रकोप है कि जंगल की आग ने अप्रैल में ही प्रकोप दिखाना शुुरू कर दिया है। एक अप्रैल से लेकर पांच अप्रैल तक ही कुल 261 मामले सामने आए और 413 हेक्टेयर जंगल खाक हो गया। वन विभाग ने 8.37 लाख रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है। राहत इतनी है कि मानव और वन्यजीवों को नुकसान का मामला सामने नहीं आया है।