देहरादून। प्रदेश भर के छात्रसंघ पदाधिकारियों का कहना है कि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की विश्वविद्यालय और कॉलेज परिसरों में मोबाइल प्रतिबंधित किए जाने की बात व्यवहारिक नहीं है। उन्हीं के जरिये कई कॉलेजों में डिजिटल लाइब्रेरी बनाई गई हैं। मोबाइल पर प्रतिबंध के मंत्री के खिलाफ प्रदेश भर के छात्र आंदोलन भी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री जहां कॉलेजों में ई-लर्निंग कक्षाओं की बात कह रहे हैं, वहीं राज्य के शिक्षा मंत्री कॉलेज में जैमर लगाकर मोबाइल प्रतिबंधित पर अड़े हैं, जो पूरी तरह अव्यवहारिक है। छात्रों का तर्क है कि वर्तमान में छात्र-छात्राएं वाट्सऐप के जरिये विभिन्न विषयों के नोट्स एक दूसरे को आदान- प्रदान करते हैं। कहा कि यदि कॉलेज और परिसर में मोबाइल प्रतिबंध किया गया तो पढ़ाई भी प्रभावित होगी। कॉलेज के छात्र प्रतिनिधियों ने उच्च शिक्षा मंत्री से छात्रहित में फैसला लेने की मांग की।
पूरा पाठ्यक्रम चलता है ऑनलाइन
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ऋषिकेश छात्रसंघ के अध्यक्ष अनुराग पयाल के मुताबिक, कॉलेज परिसर में मोबाइल पर प्रतिबंध लगाने की योजना छात्रहित में नहीं कही जा सकती। उच्च शिक्षा मंत्री कॉलेज परिसर में मोबाइल पर प्रतिबंध की बात कर रहे हैं, जबकि अधिकतर ई-लर्निंग प्रोग्राम ऑनलाइन हैं। ओपन विवि में तो पूरा पाठ्यक्रम ऑनलाइन चल रहा है।
उचित नहीं है यह कदम
शहीद दुर्गा मल्ल राजकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय डोईवाला के अध्यक्ष अभिषेक पुरी का कहना है कि कॉलेज परिसर में मोबाइल प्रतिबंधित करने से छात्र-छात्राओं को परेशानी होगी। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री के कक्षाओं में मोबाइल प्रतिबंधित करने के फैसले का समर्थन करते हैं, लेकिन कक्षा के बाहर परिसर में मोबाइल पर प्रतिबंध लगाना उचित कदम नहीं है।
प्रधानमंत्री के उलट चल रहे मंत्री
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कोटद्वार छात्रसंघ अध्यक्ष हिमांशु बहुखंडी के अनुसार, एक ओर प्रधानमंत्री डिजिटलाइजेशन की बात कर रहे हैं, दूसरी ओर प्रदेश के उच्च शिक्षा राज्यमंत्री महाविद्यालयों में मोबाइल फोन ले जाने पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। ऐसे में मंत्री खुद ही प्रधानमंत्री के सपनों को पलीता लगाने का कार्य कर रहें हैं।
किया जाएगा कड़ा विरोध
बीजीआर परिसर पौड़ी छात्रसंघ अध्यक्ष आस्कार रावत के मुताबिक, डिग्री कॉलेजों में मोबाइल बंद किए जाने का निर्णय सरकार का तुगलकी फरमान है। एक तरफ सरकार विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में वाई-फाई सुविधा फ्री कर रही है। वहीं मोबाइल फोन प्रतिबंधित किए जाने का निर्णय लिया जा रहा है। इसका विरोध किया जाएगा।
प्रतिबंध लगाना गलत
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल छात्रसंघ अध्यक्ष अंकित रावत के अनुसार, सरकार विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में निश्शुल्क वाई-फाई सुविधा उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। ऐसे में कॉलेजों में मोबाइल पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है। वर्तमान दौर सूचना प्रौद्योगिकी का है। उच्च शिक्षा मंत्री इसके दुरुपयोग की संभावना से आशंकित दिखाई दे रहे हैं।
हास्यास्पद है मंत्री का बयान
नई टिहरी पीजी कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष शंकर सिंह नेगी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तरफ देश को डिजिटल बनाने की बात कह रहे हैं, वहीं प्रदेश के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री कॉलेजों में मोबाइल फोन प्रतिबंधित करवाने का बयान दे रहे हैं। उनका यह बयान हास्यास्पद है। देश में सूचना क्रांति का युग है। हर जानकारी छात्र-छात्राओं को मोबाइल पर उपलब्ध हो रही है।
महिला सुरक्षा के लिए भी जरूरी मोबाइल
बाल गंगा महाविद्यालय भिलंगना छात्रसंघ अध्यक्ष अंजली चैहान के अनुसार, पहाड़ के कॉलेजों में छात्र-छात्राएं दूरदराज के क्षेत्रों से आते हैं। खासतौर पर छात्राओं के लिए तो मोबाइल बेहद जरूरी है। किसी परेशानी में फंसने पर छात्राएं मोबाइल के जरिये मदद मांग सकती हैं। शहरों में तो मोबाइल पर महिला सुरक्षा के लिए बाकायदा ऐप भी चल रहे हैं।