देहरादून। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ढाई हजार करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पास कर दिया गया है।
वहीं आज कार्यवाही शुरू होने के बाद श्राइन बोर्ड के मुद्दे पर सदन दोपहर साढ़े 12 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। विपक्ष ने प्रश्नकाल नहीं चलने दिया और वेल में बैठ गया। इसके बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई। जिसमें अनुपूरक बजट पर चर्चा की गई और सदन में बजट पास हो गया। इसके बाद तीन बजकर 44 मिनट पर सदन स्थगित कर दिया गया।
श्राइन बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहित का विधानसभा कूच
श्राइन बोर्ड के गठन का विरोध जारी रखते हुए देवभूमि तीर्थ पुरोहित महापंचायत आज फिर से विधानसभा कूच के लिए निकली। इस दौरान सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। जहां पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोकने का प्रयास किया। पुलिस ने उन्हें रोका तो जमकर धक्का-मुक्की भी हुई। पुलिस ने लाठियां फटकार कर प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेला, जिसके बाद प्रदर्शनकारी वहीं धरने पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी के मुताबिक सरकार श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लेने की कोई कोशिश नहीं कर रही हैं। श्राइन बोर्ड के विरोध में ही तीर्थ पुरोहित एक बार पहले भी विधानसभा कूच कर चुके हैं। सीएम आवास पर भी प्रदर्शन किया जा चुका है।
इसके साथ ही गैरसैंण राजधानी की मांग को लेकर राजधानी गैरसैंण निर्माण समिति के सदस्यों ने विधानसभा कूच किया। वहीं सेलाकुई में शीशम बाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट हटाने की मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने विधानसभा कूच किया। आंदोलनकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार स्थानीय लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रही है। लोगों के प्रदर्शन के बावजूद अब तक प्लांट पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। प्लांट खोलकर सरकार लोगों को धीमा जहर दे रही है।
श्राइन बोर्ड का मुद्दा सदन में लाने का रास्ता तलाश रहे कांग्रेसी
श्राइन बोर्ड के विरोध की बाजी सदन में धनोल्टी विधायक प्रीतम पंवार ले गए। अब हाथ मल रही कांग्रेस आज इस मामले को किसी अन्य तरीके से उठाने की कोशिश में है। कांग्रेस ने कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत श्राइन बोर्ड के गठन के मुद्दे को सदन में उठाना तय किया था। श्राइन बोर्ड के गठन के विरोध में देवभूमि तीर्थ पुरोहित महापंचायत के आंदोलन जारी रखने के बावजूद कांग्रेस ने महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को तरजीह देना तय किया।
इसका कारण यह भी था कि 14 दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर महंगाई, बेरोजगारी आदि मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रही है और उत्तराखंड में विरोध जताकर कांग्रेस इन मुद्दों को गरमाने की कोशिश में है। इस कारण कांग्रेस ने श्राइन बोर्ड के मुद्दे को सदन में बाद में उठाने का फैसला किया और यही चूक कांग्रेस पर भारी पड़ गई।
धनोल्टी के निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार ने इस मुद्दे को सदन में उठाया तो खुद नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश को मायूस होना पड़ा। इस मुद्दे को सदन में अन्य तरीके से उठाने की कोशिश में कांग्रेस के विधायक जुट गए हैं। पार्टी के केदारनाथ विधायक मनोज रावत इस मामले को लेकर सबसे अधिक सक्रिय हैं।
सूत्रों के मुताबिक मनोज रावत और कांग्रेस के रानीखेत विधायक करन माहरा इस कोशिश में जुटे हुए हैं। हालांकि, कांग्रेस के सामने श्राइन बोर्ड का विधेयक सदन में आने पर चर्चा के जरिये विरोध जताने का विकल्प भी खुला है।