देहरादून। व्यापारी वर्ग ने कोरोनाकाल में बिजली दरों में किए गए इजाफे का कड़ा विरोध किया है। व्यापारियों का कहना है कि पिछले वर्ष करीब अक्टूबर माह तक व्यापार चौपट रहा, अब फिर से कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण व्यापारी दुकानें बंद कर घर बैठे हैं। ऐसे समय उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने 3.54 फीसद बढ़ोतरी की अनुमति दे दी है।
व्यापार संगठनों का कहना है कि यह समय विद्युत दरों में बढ़ोतरी का नहीं है। बल्कि राहत की आमजन को सख्त जरूरत है। दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंकज मैसोन ने कहा कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से व्यापार लगभग बंद हो चुका है। केवल जरूरी वस्तुओं की दुकानों को खोलने की ही अनुमति प्रशासन की ओर से है। पिछले वर्ष भी कोरोना संक्रमण के कारण करीब आठ महीने व्यापार बुरी तरह प्रभावित रहा। सरकार को तो व्यापारियों के लिए रियायत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए थी, लेकिन विद्युत आयोग ने विद्युत दरों में बढ़ोतरी कर व्यापारियों पर आर्थिक बोझ डालने का काम किया है।
उधर, दून महानगर व्यापार प्रकोष्ठ के व्यापारियों की बुधवार को ऑनलाइन बैठक हुई। बैठक में उन्होंने बिजली की प्रति यूनिट मूल्य वृद्धि पर नाराजगी जताई। व्यापारियों ने कहा कि कोरोनाकाल में व्यापारी टूट चुका है। शासन-प्रशासन की तरफ से व्यापारी को किसी प्रकार की छूट नहीं मिल रही है। अब बिजली का बिल बढ़ने से उनको और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा। व्यापारियों ने बढ़ी हुई दरों को कम करने की मांग की है। कहा कि बढ़ी दरें कम नहीं हुई तो वह धरना-प्रदर्शन करेंगे। महानगर दून व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुनील कुमार बांगा ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि जनता इस समय बहुत बड़ी परेशानी के दौर से गुजर रही है। उनको और ज्यादा परेशानी में न डाला जाए। ऑनलाइन बैठक में व्यापारी शेखर कपूर, राम कपूर, चमन लाल, राजेंद्र सिंह घई, योगेश भटनागर, रोहित कपूर, फुजल अहमद, राजेंद्र सिंह नेगी, नदीम बेग, राजेश मित्तल, रवि फुकेला, प्रवीन अरोड़ा आदि शामिल हुए।
उधर, दून व्यापार मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि ऊर्जा निगम को कोरोनाकाल में बिजली की दरों में बढ़ोतरी के फैसले को स्थगित कर देना चाहिए। इसमें बाद में निर्णय लेना चाहिए, जब प्रदेश में हालात सामान्य हो जाएं।