देहरादून। ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित सिंगटाली में मोटर पुल और कोडियाला-व्यास घाट मोटर मार्ग का निर्माण वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति के 15 वर्ष बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। बता दें कि जहां सिंगटाली झूला पुल है वहां मोटर पुल बनना था, बाद में स्थान परिवर्तन कर दिया गया। इस दिशा में धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है। ढांगू विकास समिति इस मामले में आंदोलन की राह अपनाने की तैयारी में है।
जनपद टिहरी के कोड़ियाला और जनपद पौड़ी के यमकेश्वर को जोड़ने वाले सिंगटाली झूला पुल का अपने आप में बड़ा महत्व है। यहां पर मोटर पुल के निर्माण की मांग वर्षों से उठती रही है। ढांगू विकास समिति ने इसके लिए कई बार आवाज उठाई। 30 अगस्त 2016 को 21 किलोमीटर लंबे मोटर मार्ग और मोटर पुल के लिए शासन ने 1579.80 लाख रुपया वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी। यहां 270 मीटर स्पान का मोटर पुल बनना था। इस मामले में कार्यदाई संस्था लोक निर्माण विभाग ने इस स्थान पर भौतिक निरीक्षण कर लिया था।
लंबे इंतजार के बाद जब मोटर पुल के बनने की दिशा में विभाग सक्रिय हुआ तो 15 जनवरी 2020 को राज्य के मुख्य सचिव ने मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग उत्तराखंड को सूचित किया कि यह मोटर पुल पूर्व में चयनित स्थान से देवप्रयाग की दिशा में तीन किलोमीटर आगे बनेगा। मुख्य अभियंता एमपी सिंह ने इस मामले में 13 अगस्त 2020 को सचिव लोक निर्माण विभाग को पत्र भेजकर अवगत कराया कि योजना के प्रथम चरण में 57.34 लाख रुपए खर्च होंगे।
ढांगू विकास समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी ने बताया कि जहां पूर्व में मोटर पुल स्वीकृत किया गया था, वहां एक फाउंडेशन के द्वारा संग्रहालय और रिजॉर्ट बनाया जाना है। जिसका शिलान्यास कोरोना काल के दौरान मुख्यमंत्री ने किया था।
जहां नया स्थान चयनित किया गया है वहां अब तक कोई काम नहीं हुआ है, जबकि समिति इस मामले में शासन-प्रशासन और विभाग को कई पत्र लिख चुकी है। यही हाल रहा तो इस मामले में ग्रामीणों को साथ लेकर आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। समिति अध्यक्ष ने बताया कि इस पूरे मामले में यमकेश्वर विधायक रितु खंडूरी से भी बातचीत की गई है। विधायक ने समिति को अवगत कराया कि 27 जनवरी को इस मामले में वह मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगी।
निशंक लिख चुके हैं मुख्यमंत्री को पत्र
ढांगू विकास समिति के आधार पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस मामले में बीते वर्ष 17 दिसंबर को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने इस पुल के निर्माण को जनहित में जरूरी बताया। केंद्रीय मंत्री का कहना था कि यह चार धाम यात्रा का हजारों साल पुराना पैदल मार्ग है। यह मोटर मार्ग गढ़वाल और कुमाऊं को भी जोड़ता है। इसका सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है।