देहरादून। श्री गुरुराम राय विश्वविद्यालय में इस सत्र से एमबीबीएस के छात्रों के लिए फाउंडेशन कोर्स के तहत स्थानीय भाषा के रूप में गढ़वाली सिखाई जा रही है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों के अनुसार इस सत्र से एमबीबीएस कोर्स के प्रथम सेमेस्टर में यह व्यवस्था लागू की गई है।
एमबीबीएस के विद्यार्थी भी खासी रुचि से गढ़वाली सीख रहे हैं। कुलाधिपति श्री महंत देवेंद्रदास महाराज के प्रयासों से इसी सत्र से बीए व एमए स्तर पर गढ़वाली बोली के डिग्री पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं।
कुलपति प्रो. (डॉ.) यूएस रावत का कहना है कि एसजीआरआर विवि गढ़वाली भाषा के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में उभर सके, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। एमबीबीएस कोर्स में स्थानीय भाषा की पढ़ाई को अनिवार्य किए जाने से गढ़वाली भाषा में कॅरियर की संभावना और बढ़ गई है।
प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) अनिल मेहता का कहना है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देशों के अनुसार छात्रों को स्थानीय भाषा सिखाई जा रही है। इसका उद्देश्य है कि भावी डॉक्टर क्षेत्रीय मरीजों से बेहतर संवाद स्थापित कर उनकी समस्या को भली प्रकार समझ सकें।