अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक बैडमिंटन खिलाड़ी और तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित नीरजा गोयल सड़क पर प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं। पैरालंपिक खिलाड़ी को प्रैक्टिस के लिए कोच भी मुहैया नहीं कराया गया है। नीरजा गोयल और तीर्थनगरी ऋषिकेश के अन्य पैरालंपिक खिलाड़ी पिछले चार साल से सरकार से वुडन फ्लोर इनडोर स्टेडियम और कोच उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते उनके लिए प्रदेश और देश के लिए पदक जीतने की उम्मीद टूट रही है।
सरकार प्रदेश में खेल नीति लाकर खिलाड़ियों को तराशने, निखारने और खेलों को प्रति रूचि को बढ़ाने का दावा कर रही है, लेकिन धरातल पर सरकार की कथनी और करनी में फर्क से खिलाड़ियों की प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। ऋषिकेश में एक दर्जन के करीब पैरालंपिक खिलाड़ी हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम अंतरराष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी नीरजा गोयल का है। नीरजा अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
वहीं तीन बार अपने शानदार प्रदर्शन से राष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में रजत और कांस्य पदक प्रदेश की झोली में डालने में कामयाब रही हैं। यही नहीं, प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिताओं को कई बार नीरजा ने स्वर्ण पदक जीतकर तीर्थनगरी का मान बढ़ाया है। आज नीरजा ही नहीं, बल्कि तीर्थनगरी के अन्य पैरालंपिक खिलाड़ी सरकार की ओर से मदद के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं।
पैरालंपिक खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए वुडन फ्लोर के स्टेडियम की जरूरत होती है, लेकिन वुडन फ्लोर तो दूर, खेल विभाग खिलाड़ियों को कोच तक उपलब्ध नहीं करा रहा है। नीरजा गोयल ने बताया वह कोच और वुडन फ्लोर स्टेडियम की मांग को लेकर सरकार से लगातार पत्राचार कर रही हैं। करीब तीन महीने पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उन्होंने मांग पत्र दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद खिलाड़ियों को सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई। यही कारण है उनको सड़क पर प्रैक्टिस करनी पड़ रही है।
पैरालंपिक खिलाड़ी नीरजा गोयल ने बताया कि पहले पैरा खिलाड़ी भरत मंदिर इंटर काॅलेज के परशुराम हाल में प्रैक्टिस करते थे, लेकिन निजी संपत्ति होने के चलते कॉलेज में वुडन फ्लोर बनाना संभव नहीं था। ऐसे में मजबूरी में उनको निर्मल आश्रम के समीप स्थित अपने घर बाहर सड़क पर प्रैक्टिस करनी पड़ी। प्रैक्टिस के दौरान नीरजा चोटिल भी हो गईं। नीरजा की सड़क पर प्रैक्टिस करती हुई वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
30 नवंबर को देहरादून में राष्ट्रीय पैरालंपिक प्रतियोगिता के ट्रायल होने हैं, लेकिन कोच और वुडन फ्लोर स्टेडियम न होने से तीर्थनगरी के पैरा खिलाड़ी सही ढंग से प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं। नीरजा समेत केवल चार पांच खिलाड़ी ही ट्रायल में प्रतिभाग करेंगे। 20 दिसंबर को भुवनेश्वर में राष्ट्रीय पैरालंपिक खेल प्रतियोगिता का आयोजन होना है। अधूरी तैयारियों के चलते खराब प्रदर्शन के डर से कई खिलाड़ी ट्रायल में शामिल ही नहीं हो रहे हैं। प्रवेश, मन्नू सिंह, संदीप भंडारी आदि पैरा खिलाड़ियों का कहना है सुविधाओं के अभाव में पैरालंपिक खिलाड़ी आखिर कैसे देश प्रदेश के लिए खेलेंगे।
नीरजा गोयल ने बताया कि चलने में असमर्थ पैरालंपिक खिलाड़ी विशेष व्हीलचेयर का प्रयोग करते हैं। इसकी कीमत करीब एक लाख से सवा लाख रुपये के बीच होती है। व्हीलचेयर पर प्रैक्टिस और खेलने के लिए वुडन फ्लोर का होना जरूरी है, लेकिन वुडन फ्लोर न होने से खिलाड़ी व्हीलचेयर को मूव ही नहीं कर पाते हैं।