राजधानी देहरादून के तमाम सरकारी और निजी अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों के बेड फुल हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन और दवाओं की व्यवस्था तो बना ली गई, लेकिन बेड नहीं हैं। जितने बेड बढ़ाए जा रहे हैं, वो कुछ घंटों में ही भर जा रहे हैं। इसके बीच राहत की बात ये है कि रोजाना कुछ लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हो रहे हैं। हालांकि भर्ती होने वालों की तुलना में उनकी संख्या बेहद कम है।कोविड अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि समस्या ऑक्सीजन नहीं, बेड की है। दून कोविड अस्पताल के नोडल अधिकारी डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि इस बार का कोरोना संक्रमण ज्यादा घातक है। पहले कोरोना वायरस 10 से 11 दिन में मरीजों के फेफड़ों को प्रभावित कर रहा था, लेकिन इस बार दो से तीन दिन में ही संक्रमित मरीज के फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है।इतना ही नहीं इस बार गंभीर मामले भी तीन गुना बढ़ गए हैं। इससे कोविड संक्रमित लगभग सभी मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है। ज्यादातर सरकारी और निजी अस्पताल भी यही बात कह रहे हैं। दूसरी ओर, मैक्स अस्पताल ने ऐसी कोई भी जानकारी मीडिया से साझा करने से इनकार कर दिया है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तृप्ति बहुगुणा ने रविवार को कोरोनेशन जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। सीएमएस और अन्य डॉक्टरों के साथ बातचीत के बाद उन्होंने अतिरिक्त बेड की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। साथ ही ऑक्सीजन की डिमांड और उपलब्धता को लेकर भी जानकारी ली। उन्होंने सीएमएस डॉ. मनोज उप्रेती को कहा कि बेड और ऑक्सीजन की व्यवस्था कर ली जाए ताकि बाद में परेशान न होना पड़े।
अस्पताल में अभी करीब ढाई सौ मरीज भर्ती हैं। 100 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं। बेड बढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। अस्पताल में ऑक्सीजन की डिमांड काफी अधिक है। ज्यादातर मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। ऑक्सीजन के लिए सिलिंडर और लिक्विड टैंक की व्यवस्था की गई है। जरूरत वाले सभी मरीजों को रविवार को भी रेमडेसिविर इंजेक्शन लगे हैं।
-डॉ. आशुतोष सयाना, प्राचार्य, दून मेडिकल कॉलेज
अस्पताल में करीब 200 कोरोना संक्रमित और संदिग्ध लक्षणों वाले मरीज भर्ती हैं। अस्पताल में एक भी कोविड बेड खाली नहीं है। बेड की अतिरिक्त व्यवस्था की जा रही है, लेकिन मरीजों की बढ़ती तादाद को देखते हुए वो भी कम ही साबित हो रही है। अस्पताल में ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता है। रेमडेसिविर इंजेक्शन भी है।
-डॉ. पवन शर्मा, निदेशक, कैलाश अस्पताल
अस्पताल में करीब 40 मरीज भर्ती हैं। इसमें से 18 आईसीयू में भर्ती है। ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अन्य दवाओं की आपूर्ति में किसी तरह की परेशानी न हो इसकी व्यवस्था प्रशासन को बेहतर ढंग से करनी होगी। सामान्य तौर पर रोजाना 20 सिलिंडर ऑक्सीजन लगती है। रविवार को 120 सिलिंडर की जरूरत पड़ी। लोग ठीक होकर डिस्चार्ज भी हो रहे हैं।
-डॉ. विपुल कंडवाल, आरोग्यधाम अस्पताल