देहरादून। सरकार ने लॉकडाउन खुलने तक निजी स्कूल-कॉलेजों की फीस वसूली पर रोक लगाई हुई है। बावजूद इसके कई निजी स्कूल सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखाकर फीस के लिए अभिभावकों को लगातार मैसेज भेजे जा रहे हैं। इसके साथ ही अप्रैल शुरू होते ही निजी स्कूल वैन संचालकों ने भी अभिभावकों पर पैसे के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानियों के किस्से हमेशा ही चर्चा में रहते हैं। सरकार के आदेशों को ठेंगे पर रखने वाले निजी स्कूल महामारी के दौर में भी बाज नहीं आ रहे। सरकार लगभग दो हफ्ते पहले ही निजी स्कूल कॉलेजों की फीस वसूली पर फिलहाल रोक लगा चुकी है। सरकार ने साफ आदेश किए हैं कि लॉक डाउन खुलने तक कोई भी स्कूल अभिभावक पर फीस के लिए दबाव नहीं बनाएगा, लेकिन निजी स्कूल इसके बाद भी अभिभावकों को लगातार फीस और नए साल के ऐडमिशन के लिए मैसेज भेज रहे हैं।
अभिभावक के स्कूलों को शासनादेश का हवाला दिए जाने पर अभिभावकों को छात्र-छात्राओं से स्कूल छुड़वाने की चेतावनी दी जा रही है। कई अभिभावक निजी स्कूलों की शिकायत बाल आयोग और शिक्षा विभाग में भी कर चुके हैं। रस्म अदायगी के तौर पर शिक्षा विभाग और आयोग स्कूलों को फीस न वसूलने के लिए पत्र लिख चुके हैं। लेकिन किसी की ओर से भी कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं की गई है, जिससे सबक लेकर निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लग सके। इन स्कूलों के सामने आए मामले फीस वसूली के मामले में कई अभिभावक बाल आयोग और शिक्षा विभाग में निजी स्कूलों की शिकायत कर चुके हैं।
माउंट लिट्राजी स्कूल, सेंट ज्यूड्स स्कूल और आनंद माई स्कूल पर बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने शिक्षा विभाग को कार्रवाई के आदेश में दिए थे। शुक्रवार को ओलंपस हाई स्कूल से जुड़ा मामला भी सामने आया। इसके अलावा कई दूसरे स्कूल हैं जो अभिभावकों को ऑनलाइन कक्षाएं शुरू होने का हवाला देकर फीस देने के लिए दबाव बना रहे हैं। स्कूल वैन संचालक भी बना रहे दबाव निजी स्कूलों के बाद अब स्कूल वैन संचालकों ने भी अभिभावकों को किराये के लिए कॉल करना और मैसेज भेजना शुरू कर दिया है।
स्कूल वैन संचालक भी अभिभावकों पर लगातार पैसे के लिए दबाव बना रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि जब पिछले एक महीने से गाड़ी चली ही नहीं तो पैसा किस बात का दें। वैसे भी निजी स्कूल वैन संचालक साल भर का पैसा तो वसूल ही लेते हैं, जबकि सात महीने से ज्यादा स्कूल वैन चलती भी नहीं। एक अभिभावक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जीएमएस रोड के एक स्कूल में उनके बच्चे पढ़ते हैं। घर से स्कूल की दूरी तीन किलोमीटर भी नहीं है। वैन संचालक 15 सौ रुपये महीने के हिसाब से पैसा लेता है। अब एक महीने से स्कूल बंद होने के बाद भी लगातार पैसे के लिए दबाव बना रहा है। सरकार के आदेशों का हवाला दिया तो आगे से वैन सेवा नहीं देने की चेतावनी दी जा रही है।
मुख्य शिक्षाधिकारी आशारानी पैन्युली का कहना है कि सीबीएसई, आइसीएसई समेत अन्य निजी स्कूलों से आदेश के बाद भी अभिभावकों पर फीस वसूली के लिए दबाव बनाने की शिकायत आ रही है। 25 मार्च को जारी शासनादेश में सरकार ने यह साफ किया है कि स्कूल लॉक डाउन के बाद ही फीस वसूली करें। इस आदेश का पालन नहीं करने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।