सर्दियों में ये आठ पहाड़ी दाल बेहद फायदेमंद, बीमारियों को दूर रखने का रामबाण उपाय, बढ़ी डिमांड

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देहरादून : उत्तराखंड की संस्कृति एवं परंपराएं तो समृद्ध हैं ही साथ ही यहां का खान-पान भी पौष्टिकता से परिपूर्ण है। यदि बात पहाड़ी दालों की करें तो यह औषधीय गुणों से भरपूर हैं। यही कारण है कि बदलते मौसम के हिसाब से इन दालों की डिमांड बढ़ गई है।

खूब पसंद की जा रही ये दालें
गहथ, तोर, उड़द, काले भट, रयांस, छीमी, लोबिया के अलावा चकराता, जोशीमठ, हर्षिल और मुनस्यारी की राजमा खूब पसंद की जा रही है।

इसका फायदा किसानों को तो मिल ही रहा है साथ ही इन दालों का मार्केट में विक्रय कर रही स्वयंसेवी सहायता से जुड़ी महिलाएं भी आर्थिक रूप से सशक्त हो रहीं हैं। इसके अलावा उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों को भी बढ़ावा मिल रहा है।

सर्दी के फायदेमंद है गहथ व तोर

  • गहथ की बात करें तो इसे पहाड़ में गौथ के नाम से जाना जाता है।
  • सर्दी में इसके रस के सेवन से लाभ मिलता है।
  • साथ ही पथरी के लिए रामबाण माना जाता है।
  • कार्बोहाइड्रेट, वसा, रेशा, खनिज और कैल्शियम से भरपूर गहथ से गथ्वाणी, फाणु, पटौड़ी जैसे पहाड़ी व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
  • इसके अलावा कार्बोहाइड्रेट और वसा से युक्त तोर से दाल, भरवा परांठे, खिचड़ी आदि पकवान बनाए जाते हैं। जिसे विशेष रूप से सर्दियों में लोग पसंद करते हैं।
  • वहीं काला और सफेद भट की दाल भी सेहत का खजाना है।
  • उत्तराखंड में भट की चुटकानी, डुबके, पहाड़ी उड़द के पकौड़े और चैंसू आदि पकवानों का सर्दियों के मौसम में विशेष रूप से सेवन किया जाता है।

मिल रहा रोजगार, महिलाएं हो रही सशक्त
पहाड़ी दालों को शहर व विभिन्न राज्यों में काफी मांग है। ऐसे में काश्तकारों के साथ ही स्वयं सहायता समूहों को भी इसका लाभ मिल रहा है। सहसपुर स्थित शक्ति स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष गीता मौर्य का कहना है कि सर्दियों में दाल की बात करें तो तोर, गहथ, काला भट, लोबिया, चकराता की राजमा की मांग ज्यादा आ रही है।

समूह में तकरीबन 200 महिलाएं जुड़ी हैं जो दालों को साफ करने के साथ ही पैकिंग करने का कार्य में जुटी रहती हैं। इससे उन्हें रोजगार मिल रहा है और आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं।

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