सालभर नहीं ली सुध, अब ऑडिशन के बुलावे से लोक कलाकार नाराज

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देहरादून। सरकार और विभाग ने कोरोना काल में लोक कलाकारों की खबर नहीं ली। अब ऑडिशन के लिए बुलाया जा रहा है। इससे लोक कलाकार नाराज हैं। उनका कहना है कि कोरोना काल के कारण कलाकार आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। न तो कलाकारों की तैयारी है और न बजट। ऐसे में रंगमंच समितियां भी ऑडिशन कराए जाने का विरोध कर रही हैं।

सूचना एवं लोक संपर्क विभाग की ओर से शासन की नीतियों, कल्याणकारी विकास योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए गीत एवं नाट्य योजना के अंतर्गत सांस्कृतिक दलों के पंजीकरण के लिए ऑडिशन लेती है। 15 से 25 सितंबर तक गढ़वाल और कुमाऊं के कलाकारों के ऑडिशन होने हैं। सांस्कृतिक दल इसके पक्ष में नहीं हैं।

उनका कहा है कि सरकार की ओर कोरोनाकाल में लोक कलाकारों की सुध नहीं ली गई। कहा कि अचार संहिता के लिए कुछ ही समय है। ऐसे में अब भी लोक कलाकारों के पास काम नहीं होगा तो फिर ऑडिशन लेने का क्या फायदा? इसके अलावा कोरोना के कारण बीते साल से ही कलाकारों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में वह ऑडिशन का खर्चा कैसे उठाएंगे।

देहरादून और अल्मोड़ा में होंगे ऑडिशन
उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, हरिद्वार के लिए ऑडिशन तिथि 15 सिंतबर रखी गई है। जबकि, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी के लिए 16, देहरादून में रायपुर, डोईवाला, सहसपुर के लिए 17 और देहरादून में चकराता, त्यूनी, कालसी के लिए 18 सितंबर को ऑडिशन होंगे। जबकि, कुमाऊं में बागेश्वर के कलाकारों के लिए 21 सितंबर, पिथौरागढ़, चंपावत के 22, ऊधमसिंह नगर के 23, अल्मोड़ा के 24 और नैनीताल के लिए 25 सिंतबर ऑडिशन की तिथि रखी गई है। गढ़वाल मंडल के कलाकारों को ऑडिशन के लिए सूचना भवन लाडपुर रिंग रोड देहरादून और कुमाऊं के कलाकारों को उदय शंकर नाट्य अकादमी, फलसीमा अल्मोड़ा में सुबह 10 बजे पहुंचना होगा।

हमारे साथ दूर-दूर तक के कलाकार जुड़े हैं। ऑडिशन देने के लिए ग्रुप को लाने में कम से कम 40 से 50 हजार का खर्च लगता है। धारचूला, मुनस्यारी, चंपावत, बागेश्वर, चौखुटिया से ऑडिशन देने के लिए अल्मोड़ा आना पड़ता है। न तो तैयारी है और न बजट। अभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी नहीं हो रहा है तो ऑडिशन के नाम पर कलाकारों को परेशान क्यों किया जा रहा है।
– प्रकाश बिष्ट, अध्यक्ष, उत्तराखंड लोक कलाकार संघ

पूरे कोरोना काल में लोक कलाकारों की सुध नहीं ली। अब ऑडिशन के लिए अचानक बुलाया जा रहा है। लोक कलाकार बीते साल से खाली बैठे हैं। इस पर सरकार और विभाग नहीं सोच रहा है। कलाकारों की पीड़ा को कोई समझना ही नहीं चाहता। न तो तैयारी है और न बजट। ऐसे में ऑडिशन रखने का कोई औचित्य नहीं है। दूर-दराज के कलाकारों का आना संभव नहीं है। विभाग को इस पर विचार करना चाहिए।
– जितेंद्र शाह, अध्यक्ष, बासुकेदार सांस्कृतिक कला संगम

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