देहरादून। साल का पहला चंद्रग्रहण शुक्रवार रात 10 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर अगले दिन तड़के दो बजकर 42 मिनट तक चलेगा। साल का पहला चंद्रग्रहण लगभग चार घंटे पांच मिनट तक रहेगा।
आचार्य सुशांत राज ने बताया कि हिंदू धर्म के अनुसार हर ग्रहण का व्यक्ति के जीवन पर अच्छा और बुरा प्रभाव जरूर पड़ता है। बुरे प्रभाव से बचने के लिए ज्योतिष में कई नियम भी बताए गए हैं। उन्होंने बताया कि उपछाया चंद्रग्रहण को शास्त्रों में ग्रहण के रूप में नहीं देखा गया है। मांद्य चंद्र ग्रहण होने से इस ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। जिसकी वजह से ग्रहण काल में पूजा-पाठ आदि कर्म किए जा सकेंगे।
गर्भवती महिलाएं बरतें यह सावधानियां
आचार्य सुशांत राज के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना होगा, जिससे शिशु स्वस्थ्य पैदा हो।
– ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को नुकीली चीजों जैसे चाकू, कैंची, सूई आदि इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। ऐसा करने पर होने वाले शिशु के किसी भी अंग को हानि पहुंच सकती है।
-घर के बाहर निकलने से भी बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि गर्भवती महिला अगर ग्रहण देख लेती है तो उसका सीधा असर उसके होने वाले बच्चे की शारीरिक और मानसिक सेहत पर पड़ता है।
ग्रहण के दौरान बना खाना खाने से बचें
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बना हुआ खाना नहीं खाना चाहिए। माना जाता है कि चंद्र ग्रहण के समय पड़ने वाली हानिकारक किरणें खाने को दूषित कर देती हैं। ऐसे में अगर घर पर खाना बना हो तो उसमें तुलसी के पत्ते डाल दें। ग्रहण खत्म होने के बाद उन्हें निकाल लें। ऐसा करने से ग्रहण के बाद भी खाना शुद्ध रहता है।
ग्रहण के बाद करे स्नान
मान्यता है कि ग्रहण खत्म होने के बाद गर्भवती महिलाओं को नहाना जरूर चाहिए। वर्ना उसके होने वाल शिशु त्वचा संबंधी रोग से ग्रसित हो सकता है। ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती महिला को तुलसी का पत्ता जीभ पर रखकर हनुमान चालीसा और दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का करें पालन
इसके अलावा ग्रहण के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए साथ ही सोने से, किसी दवा का सेवन करने से और भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करने से भी बचना चाहिए। ग्रहण के समय में मंत्र सिद्ध जाप करना चाहिए। ग्रहण के बाद सफेद वस्तु आटा, चीनी, चावल, दूध आदि का दान अवश्य करना चाहिए।