देहरादून। संवाददाता। उत्तराखण्ड पुलिस के लिए वर्ष 2019 चुनौतियों भरा रहा है। इस साल जहां अपराधों में खासी बढोत्तरी दर्ज की गयी वहीं इस वर्ष चुनावी अथवा अन्य कारणों से हुए वीआईपी मूवमेंट में भी तेजी देखी गयी। जिनकी सुरक्षा के साथ ही शांतिपूर्ण लोकसभा व पंचायत चुनाव करवाना भी पुलिस के लिए एक चुनौती पूर्ण कार्य रहा है। जबकि नशा कारोबार पर लगाम कसना पुलिस के लिए सिरदर्द ही बना रहा।
यू तो उत्तराखण्ड प्रदेश अपराधों के मामलों में अन्य प्रदेशों से काफी शांत माना जाता रहा है। लेकिन यह वर्ष बढ़ते अपराधों की दृष्टि से भी पुलिस के लिए काफी चुनौतियों भरा रहा। बढ़ते अपराधों ने जहां जनता का चैन तो छीना ही साथ ही मित्र पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाये। हालांकि पुलिस ने राज्य भर में हुए अपराधों का तकरीबन खुलासा कर दिया और अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा। लेकिन फिर भी इस वर्ष अपराधों का ग्राफ अन्य वर्षो की तुलना में ज्यादा रहा।
उत्तराखण्ड प्रदेश में इस साल लूट के 122, हत्या के 175, महिला अपहरण के 273 व चोरी के 838 मामले दर्ज किये गये है। जबकि देखा जाये तो पिछले वर्षो की तुलना में महिलाओं से जुड़े अपराधों में भी तेजी ही दिखायी दी। जिनमें दहेज हत्या के 52 मामले व दुष्कर्म के 499 मामले सामने आये है। साइबर अपराधों के ग्राफ में भी इस बार तेजी देखी गयी है जिनमें 228 मुकदमें दर्ज किये गये है। वहीं राज्य भर में नशे कारोबार के बढ़ते नेटवर्क को भी पुलिस पूरी तरह तोड़ने मे नाकाम रही है। इस मामले में डीजी ला एण्ड आर्डर अशोक कुमार का कहना है कि राज्य पुलिसिंग के लिए बेहतर प्रयास किये जा रहे है। जिनसे बढ़ते अपराधों पर लगाम कसी जा सकेगी।