देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी विभागों को आजीविका की नई संभावनाओं और सुधार के संबंध में 15 दिनों के भीतर योजना बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी विभागों को विभिन्न क्षेत्रों में राजस्व बढ़ाने के लिए भी 10 दिन के भीतर योजना बनाने को कहा है। मकसद यह कि कोरोना के कारण जिन लोगों की आजीविका के साधन प्रभावित हुए हैं, उन्हें मदद दी जा सके। वहीं, मौजूदा वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा में निर्धारित लक्ष्य 710 करोड़ रुपये में से 218 करोड़ रुपये का आजीविका साधन पैकेज में उपयोग किया जाएगा। यह धनराशि ग्रामीण बेरोजगार युवाओं के आजीविका के साधनों के लिए इस्तेमाल की जा सकेगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को सचिवालय में आजीविका के नए साधनों के संबंध में बैठक की। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद प्रदेश की आर्थिकी में सुधार लाने और लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास करने होंगे। इसके लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालीन योजनाएं बनाकर काम करना होगा। स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उनकी पैकेजिंग, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की दिशा में काम किया जाए।
औषधीय और सुगंधित पौधों पर कार्य करने के साथ ही फल, फूल, वनस्पति और मौन पालन के क्षेत्र में भी कार्य करने की जरूरत है। कोरोना के कारण वापस आने वाले प्रवासियों की योग्यता और उनकी इच्छा के अनुसार रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ा जाए। आजीविका का साधन बढ़ाने के लिए कृषि के साथ ही अन्य गतिविधियों में भी किसानों को प्रोत्साहित किया जाए। कृषि और पर्यटन ऐसे क्षेत्र हैं, जो लोगों को त्वरित लाभ पहुंचा सकते हैं। त्योहारों और उत्सवों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की जरूरत है।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि जो लोग वापस आए, उन्हें तीन माह में रोजगार से कैसे जोड़ा जा सकता है, इस पर कार्य करना होगा। विभिन्न क्षेत्रों में कार्य के लिए उनके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी। लोगों को आत्मनिर्भर बनाने और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सभी को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। बैठक में मुख्यमंत्री के तकनीकी सलाहकार डॉ. नरेंद्र सिंह, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और मनीषा पंवार के अलावा विभागीय सचिव भी उपस्थित थे।
आजीविका के साधनों के लिए 218 करोड़
राज्य में मौजूदा वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा में निर्धारित लक्ष्य 710 करोड़ रुपये में से 218 करोड़ रुपये का आजीविका साधन पैकेज में उपयोग किया जाएगा। यह धनराशि ग्रामीण बेरोजगार युवाओं के आजीविका के साधनों के लिए इस्तेमाल की जा सकेगी। गुरुवार को सचिवालय सभागार में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में महात्मा गाधी नरेगा आजीविका साधन पैकेज संबंधी बैठक में यह निर्णय लिया गया। मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बेरोजगारों के लिए आजीविका के साधन बढ़ाने के लिए निर्देश दिए हैं।
उन्होंने आजीविका साधन पैकेज के संबंध में शीघ्र शासनादेश जारी करने के निर्देश देते हुए कहा कि शासनादेश में अन्य विभागों यथा कृषि, पशुपालन, डेयरी विभागों की भी योजनाओं को शामिल किया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि समस्त कृषि और ग्रामीण रोजगार से जुड़े विभाग, कृषि, पशुपालन, डेयरी आदि अपनी योजनाओं से लाभार्थियों के लिए अवस्थापना सुविधाओं के विकास में मनरेगा से अधिक से अधिक धनराशि का उपयोग सुनिश्चित करें। बैठक में बताया गया कि गया कि आजीविका साधन पैकेज में भूमिहीन परिवारों को कुक्कट पालन, मछली पालन आदि गतिविधियों के संचालन के लिए विभिन्न श्रेणियों में धन उपलब्ध कराया जाएगा।
भूमिहीन परिवारों को योजना में 41 हजार और अन्य श्रेणियों में 99 हजार की परिसंपत्ति प्रस्तावित है। भूमिहीन जॉब कार्ड धारक परिवारों को प्राथमिकता में और एसईसीसी (सोशियो इकोनॉमी कास्ट सेंसस) में स्वतः सम्मिलित परिवार को द्वितीय वरीयता तथा एक से तीन नाली वाले भूमिधारक परिवार और इससे अधिक भूमि धारण श्रेणी के एससी, एसटी और प्रवासियों को प्राथमिकता के आधार पर लाभान्वित किया जाएगा। बैठक में अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, सचिव कृषि और पशुपालन आर मीनाक्षी सुंदरम, अधिशासी अधिकारी मनरेगा और अपर सचिव उदय राज और राज्य परियोजना समन्वयक मोहम्मद असलम सहित कृषि, पशुपालन, डेयरी विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।