देहरादून। दवा संकट के मद्देनजर सिस्टम सक्रिय हो गया है। औषधि अनुज्ञापन अधिकारी गढ़वाल एसएस भंडारी ने इस सिलसिले में होलसेल एवं सीएंडएफ एसोसिएशनों के साथ वार्ता की और उनकी समस्याओं को सुना। उन्होंने आश्वस्त किया कि समय के हिसाब से शासन आने वाले दिनों में दवा कारोबारियों को गाजियाबाद एवं मेरठ तक के लिए पास उपलब्ध कराएगा। ताकि दवा का संकट खड़ा न हो। स्थानीय स्तर पर दवा सप्लाई के लिए जिलाधिकारी कार्यालय से पास जारी किए जाएंगे।
औषधि अनुज्ञापन अधिकारी एसएस भंडारी ने बताया कि पहले हरिद्वार और फिर देहरादून में एसोसिएशन पदाधिकारियों के साथ बैठक की गई। पदाधिकारियों का कहना था कि उन्हें आगे सप्लाई करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए पहले कर्मचारियों के लिए पास उपलब्ध कराए जाएं। जिस पर भंडारी ने कहा कि जिला स्तर पर जिलाधिकारी कार्यालय से सप्लाई के लिए पास बनवाया जा सकता है।
सीएंडएफ के पदाधिकारियों का कहना था कि अभी तो दवा का संकट पैदा नहीं हुआ है, लेकिन आने वाले दिनों में ये स्थिति बनने जा रही है। ऐसे में उन्हें दूसरे राज्यों मसलन, गाजियाबाद, मेरठ आदि से दवा लाने की अनुमति दी जाए। इस पर बताया गया कि शासन इसे गंभीरता से ले रहा है और आने वाले दिनों में इसे लेकर भी पास व्यवस्था शुरू की जाएगी।
दिनभर खुलवाए जाएंगे बड़े मेडिकल स्टोर
एसएस भंडारी ने बताया कि बड़े मेडिकल स्टोर संचालकों से अपील की गई है कि वह अपनी दुकानें दिनभर खोलें और दुकान पर दो से तीन कर्मचारियों को ही बुलाएं। ताकि लोगों को किसी तरह की दिक्कत न उठानी पड़े।
सड़कें खाली तो मंडियों का विस्तार क्यों नहीं
तीन घंटे की छूट के दौरान किसी भी फल-सब्जी मंडी में भीड़ इसलिए भी अधिक हो रही है, क्योंकि मंडी या संबंधित दुकान पहले की तरह उसी जगह पर लग रही है। दूसरी तरफ कम समय मिलने के कारण अधिक लोग पहुंच रहे हैं। ऐसे में लोगों को कम से कम एक मीटर की दूरी बनाना संभव नहीं। इसके लिए यह जरूरी है कि लॉकडाउन की छूट के दौरान संबंधित दुकानों व मंडी क्षेत्रों का विस्तार किया जाए।
फल-सब्जी वितरण के स्थल का विस्तार किया जाना इसलिए भी इस समय मुश्किल नहीं है, क्योंकि सड़कें खाली हैं। इस समय दुकानों को सड़क किनारे अधिक दूरी तक स्थापित किया जा सकता है। सिर्फ तीन घंटे की ही बात है तो यह करना आसान भी रहेगा।
जब दुकानें ही दूर-दूर या विस्तृत रूप में होंगी तो लोगों की भीड़ भी उसी अनुपात में एक दूसरे से दूर होती जाएगी। शहर के तमाम बुद्धिजीवी वर्ग के लोग भी यही राय दे रहे हैं। इसके बाद भी प्रशासन इस तरह की व्यवस्था नहीं कर पा रहा, जो समझ से परे की बात है।
जब लोगों को इस दौरान आवश्यक वस्तुओं की खरीद की अनुमति दी जा रही है तो कम से कम उन्हें दूरी बनाकर खरीदारी के लिए बाध्य तो किया ही जा सकता है। लोग भी विरोध नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें तो खरीदारी से मतलब है और यह उनकी ही सुरक्षा के लिए किया जा रहा है।