देहरादून। तीन माह से ज्यादा अरसे से छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर पड़ रहे असर को आंकने के बाद सरकार राज्य में सुरक्षित तरीके से स्कूलों को खोलने के पक्ष में है। कोरोना संक्रमण से बचाव के उपायों के साथ नवीं से 12वीं तक करीब छह लाख छात्रों की पढ़ाई के लिए स्कूलों के बंद दरवाजे खोलने का प्रस्ताव केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया है। केंद्र ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया तो बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षाओं के परीक्षार्थियों को राहत मिलना तय है।
राज्य की विषम परिस्थितियां, बड़ा पर्वतीय भूभाग, इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिक्कत और जनता की माली हालत देखते हुए लंबे समय तक स्कूलों को बंद रखने को लेकर सरकार के माथे पर बल पड़े हैं। खासतौर पर सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई की कवायद समस्या का समाधान नहीं कर पा रही है। बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की अगले वर्ष होने वाली परीक्षाओं पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
बीते तीन महीने जारी रही ऑनलाइन पढ़ाई का आकलन करने के बाद जो तस्वीर सामने आई है, उसे देखते हुए सुरक्षित तरीके से स्कूल खोलने की पैरवी खुद राज्य सरकार को करनी पड़ रही है।
शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से शिक्षण संस्थाएं खुलने में देरी हो रही है। ऐसे में कक्षा नौ से लेकर 12वीं यानी बोर्ड परीक्षा से जुड़ी कक्षाओं के छात्र-छात्राओं के लिए सुरक्षित शारीरिक दूरी के मानक के साथ शिक्षण संस्थाएं खोलने पर मंथन किया गया। स्कूल लंबे समय तक बंद रहने पर दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को परेशानी पेश आ सकती है।
भावी बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए माध्यमिक कक्षाओं को संचालित करने की अनुमति केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से मांगी गई है। केंद्र को भेजे प्रस्ताव में इन कक्षाओं के संचालन के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव के बंदोबस्त स्कूलों में अनिवार्य रूप से किए जाने की बात कही गई है। हर दिन स्कूल आने वाले छात्र-छात्राओं की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। मास्क पहनना अनिवार्य होगा। साथ ही कक्षाओं में सुरक्षित शारीरिक दूरी के मानक का पालन कराया जाएगा।