देहरादून।संवाददाता। स्टिंग मामले में सीबीआई द्वारा लिखायी गयी एफआईआर में काबीना मंत्री हरक सिंह का नाम आने के बाद सूबे की राजनीति में एक बार फिर हलचल पैदा हो गयी है। कांग्रेस अब भाजपा नेताओं व सरकार से उन्हे मंत्री पद से हटाने और नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग कर रहे है। वहीं भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस वाली पार्टी व मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर खामोशी साधे हुए है।
कांग्रेस को रसातल में पहुंचाने के मंसूबे रखने वाली प्रदेश भाजपा भले ही स्टिंग मामले में हरीश को घेरते घेरते खुद भी मुसीबत में फंस गयी हो और इस स्टिंग की आग अब सरकार के दामन तक पहुंच चुकी हो लेकिन इस स्टिंग मामले ने वर्तमान प्रदेश कांग्रेसियों और उन पूर्व बागी कांग्रेसी नेताओं जो 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा की गोद में जा बैठे थे, दोनों को ही दो तरफा नुकसान पहुंचाया है। भले ही सूबे के भाजपा नेता अभी भी इस बात से खुश है कि यह मामला कांग्रेस और पूर्व कांग्रेसियों के गले पड़ी आफत है लेकिन इस मामले में आगे होने वाली कार्यवाही भाजपा के लिए भी बड़ी मुसीबत बन सकती है जिसे लेकर अब इन नेताओं को कुछ कहते नहीं बन रहा है।
हरीश रावत के भाग्य का फैसला कोर्ट क्या करेगा यह तो समय ही बतायेगा लेकिन अब यह मुद्दा भाजपा और बागी कांग्रेसियों पर भी भारी पड़ने जा रहा है। इसे लेकर कांग्रेस में नई उमंग और जोश भर गया है। तमाम कांग्रेसी एक स्वर से अब हरीश रावत को अपना सबसे कद्दावर नेता तो बता ही रहे है, साथ ही उनकी लड़ाई में उनके साथ खड़े दिख रहे है। एक तीर से बागी कांग्रसियों व प्रदेश कांग्रेसियों का शिकार करने वाली भाजपा और उसके नेता भले ही चुप्पी साधे हो लेकिन उन्हे अब जवाब तो देना ही पड़ेगा। अब यही सवाल इन भाजपा नेताओं को परेशान भी कर रहा है।