विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने 14 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन का फैसला लिया है। तीनों ऊर्जा निगमों के कर्मचारी 31 दिसंबर से हड़ताल शुरू करेंगे। संघर्ष मोर्चा ने सरकार व शासन को मांगों पर आदेश जारी करने के लिए 30 दिसंबर तक का समय दिया है। मोर्चा की ओर से तीनों निगमों को आंदोलन को नोटिस जारी किया गया।विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की यमुना कॉलोनी में हुई बैठक में ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों की लंबित मांगों पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता मोर्चा के अध्यक्ष केहर सिंह और संचालन संयोजक इंसारुल हक ने किया।
मोर्चा का कहना है कि पांच अक्तूूबर 2021 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में मांगों पर समझौते के बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। तीन ऊर्जा निगम के कर्मचारियों की 2016 तक लागू एसीपी की व्यवस्था व अन्य संवर्ग की विभिन्न समस्याओं पर कोई भी आदेश जारी नहीं हुए हैं।
संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने निर्णय लिया कि पांच अक्तूबर को स्थगित आंदोलन फिर से शुरू किया जाएगा। 22 दिसंबर को तीनों निगमों के कर्मचारी उत्तराखंड जल विद्युत निगम मुख्यालय पर एक दिवसीय विशाल सत्याग्रह करेंगे। 30 दिसंबर तक मांगों पर आदेश जारी न होने पर 31 दिसंबर को सुबह आठ बजे से सभी कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे।
बैठक में लिए गए निर्णय के बाद मोर्चा ने उत्तराखंड पावर कारपोरेशन (यूपीसीएल), उत्तराखंड जलविद्युत निगम (यूजेवीएन) और पिटकुल के प्रबंध निदेशक को आंदोलन का नोटिस भेजा है। बैठक में सह संयोजक राकेश शर्मा, जेसी पंत, डीसी ध्यानी, पंकज सैनी, भानु प्रकाश जोशी, अमित रंजन, नरेंद्र सिंह नेगी, प्रमोद कुमार, बीरबल सिंह, अनमोल रावत, नत्थू सिंह रवि, भगवती प्रसाद, आनंद सिंह रावत, अरविंद त्रिपाठी आदि मौजूद थे।
ये है प्रमुख मांगें
-ऊर्जा निगमों में पुरानी एसीपी व्यवस्था को लागू करना।
-तीनों निगमों में उपनल संविदा कार्मिकों को नियमित करने व नियमितीकरण तक न्यायालय के आदेश के अनुरूप समान कार्य समान वेतन देने।
-समझौते के अनुरूप अवर अभियंता संवर्ग को ग्रेड पे में शासन के अनुरूप एक जनवरी 2009 से 4600 ग्रेड वेतन देना।
-तीनों ऊर्जा निगम में हुए भत्तों के रिवीजन में कर्मचारियों को हुए नुकसान पर उचित कार्रवाई करने।
-उत्तराखंड पावर कारपोरेशन में तकनीशियन से अवर अभियंता के पद पर 10 वर्षों से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया पूरी करने।