हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग का काम 10 साल बाद हुआ पूरा, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी करेंगे लोकार्पण

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देहरादून। जिस हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग का चैड़ीकरण वर्ष 2013 तक हो जाना चाहिए था, उसकी राह अब जाकर खुल पाई है। 10 साल के उतार-चढ़ाव के बाद अब राजमार्ग का चैड़ीकरण पूरा हो चुका है और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी 26 फरवरी को इसे जनता को समर्पित करेंगे।

हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग का चैड़ीकरण हरिद्वार से मोहकमपुर रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) तक किया गया है। 39.025 किलोमीटर लंबे इस भाग की लंबाई अब घटकर 36.52 किलोमीटर रह गई है। यह पहले दो लेन में सात से आठ मीटर तक चैड़ा था। अब इसकी चैड़ाई फोर लेन के हिसाब से 15 से 16 मीटर हो गई है। इस राजमार्ग पर नौ बड़े निर्माण एलीफैंट अंडरपास, रेलवे अंडरब्रिज, अंडरपास व फ्लाईओवर के रूप में बनाए गए हैं।

राजमार्ग के फोर लेन में तब्दील हो जाने के बाद हरिद्वार तक की दूरी अधिकतम एक घंटे में तय की जा सकती है।

पहले हरिद्वार पहुंचने में डेढ़ घंटे तक का समय लग जाता था। हालांकि, इन सभी कार्यों को पूरा करने के लिए कार्यदायी संस्था भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को कई कड़वे अनुभव से गुजरना पड़ा। यहां तक कि चैड़ीकरण के लिए चयनित की गई कंपनी एरा इंफ्रा को ब्लैकलिस्ट तक करना पड़ गया था। इसके बाद वर्ष 2019 में अवशेष कार्य को पूरा करने के लिए एटलस व उत्तर प्रदेश सेतु निगम को जिम्मेदारी दी गई। वर्तमान में रायवाला में अंडरपास को छोड़कर सभी कार्य पूरे किए जा चुके हैं। रायवाला अंडरपास भी 90 फीसद बन चुका है और मार्च माह तक इसके पूरा होने की उम्मीद है।

फोर लेन राजमार्ग पर यह हैं बड़े निर्माण

एलीफैंट अंडरपास (मोतीचूर, तीनपानी, लालतप्पड़)
बड़े पुल (नेपाली फार्म के पास सुसवा नदी व सौंग नदी में, डोईवाला बाईपास)
फ्लाईओवर (भानियावाला में)
अंडरपास (मियांवाला)
रेलवे अंडरब्रिज (रायवाला)

तीन डेडलाइन के बाद एरा इंफ्रा से छीनना पड़ा था काम

राजमार्ग चैड़ीकरण के लिए पूर्ववर्त कंपनी एरा इंफ्रा को एनएचएआइ ने काम पूरा करने के कई मौके दिए। पहली डेडलाइन वर्ष 2013 में पूरी होने के बाद सितंबर 2016 तक काम पूरा करने का अवसर दिया गया। इसके बाद दिसंबर 2017 तक डेडलाइन बढ़ाई गई। फिर भी काम 50 फीसद के आसपास सिमटा रहा। कंपनी को एक दिन में 1.5 करोड़ रुपये के काम करने का लक्ष्य दिया गया था, मगर कंपनी 10 लाख रुपये के ही काम कर पा रही थी। अंत में एरा इंफ्रा को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसके बाद करीब 588 करोड़ रुपये के अवशेष कार्यो के लिए नई कंपनियों का चयन किया गया।

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