प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की इस बात से वह पूरी तरह सहमत हैं कि बेटियां राज्य का सामूहिक स्वाभिमान हैं। ऐसे में अंकिता और अन्य बेटियों को न्याय के लिए उन्हें अकेले क्यों, सभी दलों को 26 दिसंबर को गांधी पार्क में होने वाले धरने में शामिल होना चाहिए।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस पर भी तैयार हैं कि यदि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व धरने में शामिल होता है तो वह धरने में उनके पीछे बैठेंगे। पूर्व सीएम ने कहा कि अंकिता ने अपना बलिदान देकर हमें राज्य में 2016 से हो रहे अंधाधुंध अनियंत्रित रिसोर्टीकरण को एक नई दृष्टि से देखने की चेतावनी दी है।
लोग उत्तराखंड आध्यात्मिक, नैसर्गिक, पर्यावरणीय, साहसिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के लिए आएं उनका स्वागत है, मगर दैहिक आनंद के लिए आने वाले लोग न आएं, वनंतरा रिजॉर्ट में वीआईपी को विशेष सेवा देने के लिए अंकिता पर दबाव डाला गया।
पूर्व सीएम ने कहा कि ऋषिकेश से जुड़े ये सभी स्थान सीसीटीवी कैमरे की जद में होने चाहिए, जहां विद्युत परियोजना है, संत महात्मा गंगा आरती के लिए आते हैं, विदेशी मेहमानों का जो प्रिय स्थल है। वहां रिजॉर्ट में वीआईपी के साथ आए बाउंसर और सुरक्षा कर्मी भी अभी तक चिन्हित नहीं हो पाए हैं।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वह एक जाते हुए जोगी हैं, जिसे सभी ने लताड़ा है। फिर भी अपने अंतिम कर्तव्य के रूप में वह बेटी और बेटियों के स्वाभिमान के सवाल पर चुप नहीं बैठ सकते।
यदि आज उत्तराखंड ने सामूहिक रूप से दैहिक सुख साधन उपलब्ध करवाने वाली भूमि के रूप में धकेलने की इन कोशिशों को दफन नहीं किया तो दशकों का संघर्ष भी हमारी पारिवारिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक संस्कृति को बर्बाद होने से नहीं बचा पाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि विधानसभा में सरकार ने आधिकारिक बयान दिया है कि रिजॉर्ट में एक वीआईपी कक्ष है, जहां आने वाला हर व्यक्ति वीआईपी कहलाता है। वह इस बात को लेकर आश्चर्य में हैं कि अंकिता के हत्यारों के बचाव की ढाल सरकार ही उपलब्ध करवाने लग गई है।