नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग की ओर से याचिकाकर्ता की सुरक्षा बिना किसी आदेश के हटाने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसके बाद एसएसपी देहरादून को याचिकाकर्ता व उसके भाई को 24 घंटे के भीतर सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। देहरादून निवासी रीता सूरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि बीते 14 मई को पुलिस ने बिना किसी आदेश के उनकी सुरक्षा हटा दी। याचिका में कहा कि 15 मई को इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, डीजीपी, एसएसपी व जिलाधिकारी देहरादून से की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
याचिका में कहा कि सुरक्षा हटाने से उनकी व उनके भाई राज सूरी की जान का खतरा और अधिक बढ़ गया है क्योंकि उन्होंने दौलत राम ट्रस्ट की 700 बीघा भूमि घोटाला केस उजागर किया था। मामले की एसआईटी जांच कर रही है वह इस भूमि को सरकार के खाते में समायोजित कराना चाहती है। इसे देखते हुए इस बीच भूमाफिया व प्रशासन के कुछ लोग सक्रिय हो गए हैं और साजिशन उनकी सुरक्षा हटा दी गई।
क्योंकि इसमें कई सरकारी अधिकारी व भूमाफिया फंस रहे हैं। पूर्व में भी याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया था कि उनको जो पुलिस सुरक्षा दी गई है उसमें पुलिस की ओर से लापरवाही की जा रही है। याचिका में कहा कि अब उनकी सुरक्षा बिना हाईकोर्ट के आदेश के हटा दी गई है।
याचिका में कहा कि उनके भाई अधिवक्ता राजेश सूरी की हत्या 30 नवंबर 2014 को उस वक्त हुई थी जब वह नैनीताल हाईकोर्ट से घोटालो से संबंधित केसों की पैरवी करके ट्रेन से देहरादून वापस आ रहे थे। तब उनको ट्रेन मे ही जहर देकर मार दिया गया था और राजेश की सभी महत्वपूर्ण फाइलें ट्रेन से ही गायब हो गईं थीं। राजेश की बहन रीता सूरी का कहना था कि देहरादून के कई भ्रष्टाचार के मामले उसके भाई राजेश ने उजागर किए थे।
जिसमे से एक बलवीर रोड पर जज क्वार्टर घोटाला था जिसमें भगीरथ कॉलोनी बनी है, उसके फर्जी कागजात बनाकर बेच दिया गया था। जिस पर 2003 में तत्कालीन जिलाधिकारी राधा रतूड़ी ने संपत्ति को फर्जी पाते हुए कुर्क करने के आदेश देने के साथ ही किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी थी।