देहरादून । उत्तराखंड की सियासत में भूचाल लाने वाले स्टिंग ने एक बार फिर करवट ली है। इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले वर्तमान सरकार में मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत हाईकोर्ट से याचिका वापस लेने पर विचार करने की बात कह रहे हैं। हालांकि, हरक का कहना है कि अभी फैसला नहीं हुआ है, लेकिन उनके संकेत फिर से प्रदेश की सियासत में कई भंवर पैदा कर सकते हैं।
कई सवाल हैं, जिन पर हरक सिंह खुलकर नहीं बोल रहे हैं।हरक अपने इस विचार को अमली जामा पहनाते हैं तो क्या सीबीआई जांच एसआईटी की जांच में तब्दील हो जाएगी? क्या हरक सहित प्रदेश सरकार के कुछ मंत्रियों और हरीश रावत के बीच की केमिस्ट्री में बदलाव हुआ है? कहा यह भी जा रहा था कि हरक सिंह सेफ साइड में हैं और सरकारी गवाह भी बन सकते हैं। लेकिन जिस तरह से सीबीआई ने हरक सिंह के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज किया है, उससे कहीं हरक सिंह खुद भी तो परेशान नहीं हो गए? इन्हीं कुछ सवालों के जवाब वन मंत्री हरक सिंह ने कुछ इस तरह दिए।
हाईकोर्ट से याचिका वापस लेने का फैसला किया है आपने?
हाईकोर्ट से याचिका वापस लेने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। इस पर सिर्फ विचार किया जा रहा है। कोई भी फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह से बात करने के बाद ही लिया जाएगा। हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका भी मैंने ही दाखिल की थी। मेरे अधिवक्ता ने मुझसे कहा था कि सीबीआई ने हरीश रावत के साथ ही मेरे खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है।
याचिका वापस लेने पर विचार करने के पीछे तर्क क्या है?
मेरी हरीश रावत से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। हरीश रावत ने मेरा खेत नहीं उजाड़ा है। यह एक राजनीतिक लड़ाई है। जितना राजनीतिक लाभ हमें लेना था, हम ले चुके हैं। कुछ मंत्रियों ने भी मुझसे यही कहा कि हरीश रावत से हमारी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी तो नहीं है। मैं इसी मामले में अब क्यों उलझा रहूं।
अभी बात स्पष्ट नहीं हुई….
हाईकोर्ट में स्टिंग मामले में मुकदमा दर्ज कराने की मांग सीबीआई ने नहीं की थी। न ही प्रदेश सरकार सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट पहुंची थी। हाईकोर्ट में मैं गया था और तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए उस समय कांग्रेस मंत्रिमंडल के फैसले को चुनौती देने के लिए गया था।
इससे यह संकेत नहीं जाएगा कि हरक सिंह सीबीआई के मुकदमे से डर गए?
इसमें डरने का मामला कहां से आ गया। हरक सिंह डर के नाम से परिचित नहीं है। सीबीआई जांच की मांग को लेकर मैं ही तो हाईकोर्ट में गया था। समय में थोड़ा पीछे जाएं। राष्ट्रपति शासन के दौरान स्टिंग के मामले में हमने राज्यपाल से आग्रह किया था कि सीबीआई जांच कराई जाए। तत्कालीन कांग्रेस सरकार की वापसी हुई और प्रदेश सरकार ने उस समय मंत्रिमंडल की विशेष बैठक बुलाकर, जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री इंदिरा हृदयेश ने की थी, सीबीआई जांच की जगह एसआईटी जांच कराने का फैसला किया था। मैंने हाईकोर्ट में सरकार के इसी फैसले को चुनौती दी थी।