हिमालयन कल्चरल सेंटर में अब झलकेगी उत्तराखंडी संस्कृति, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था उद्घाटन

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देहरादून: जरा, याद कीजिए, चार दिसंबर 2021 का दिन। तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया था। लोकार्पित योजनाओं में देहरादून के नींबूवाला (गढ़ीकैंट) में 67.3 करोड़ रुपये की लागत से बना हिमालयन कल्चरल सेंटर भी शामिल।

उत्तराखंड की समृद्ध लोक विरासत को सहेजने के उद्देश्य से बने इस सेंटर का अब सरकार संचालन शुरू करने जा रही है। इसमें राज्य की संस्कृति से जुड़े सभी आयाम तो परिलक्षित होंगे ही, भावी पीढ़ी को जड़ों से जोडऩे की दिशा में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

मध्य हिमालयी राज्य उत्तराखंड की लोक कलाओं के संरक्षण, लोक संवाहकों को उचित मंच और भावी पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराने के उद्देश्य से हिमालयन कल्चरल सेंटर की स्थापना का सरकार ने निर्णय लिया। इसका जिम्मा सौंपा गया नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) को। वर्ष 2021 में इसका भव्य भवन बनकर तैयार हुआ। इसमें अत्याधुनिक आडिटोरियम, संग्रहालय, ओपन थिएटर, आर्ट गैलरी जैसी तमाम सुविधाएं एक छत के नीचे हैं।

संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट के अनुसार इस सेंटर में उत्तराखंड की संस्कृति के सभी आयाम परिलक्षित होंगे। संग्रहालय में खान-पान, रीति-रिवाज, वास्तुकला, आभूषण, स्मारकों की शैली, पांडुलिपियां, लोक वाद्य समेत सभ्यता व संस्कृति से संबंधित मूर्त-अमूर्त वस्तुएं प्रदर्शित होंगी। लोक कला की सभी विधाओं के रंग यहां बिखरेंगे। लोककलाओं के संरक्षण में भी सेंटर की अहम भूमिका रहेगी।

हिमालयन कल्चरल सेंटर में खास

  • 2518 वर्ग मीटर में 825 सीट क्षमता का आटिडोरियम, दिव्यांगजनों के लिए विशेष सुविधा।
  • डिजिटल और अत्याधुनिक ध्वनि प्रणाली से लैस आडिटोरियम, सुरक्षा के दृष्टिकोण से सशक्त।
  • वृहद संग्रहालय, जिसमें चार म्यूजियम हाल, दो एक्जीबिशन गैलरी, मीटिंग हाल व लाइब्रेरी।
  • ग्रीन बिल्डिंग कांसेप्ट पर बने सेंटर के परिसर में तीन सौ से अधिक वाहनों की पांकिंग सुविधा।

उत्तराखंड की लोक विरासत के संरक्षण में हिमालयन कल्चरल सेंटर मील का पत्थर साबित होगा। अगले माह के दूसरे सप्ताह में भव्य कार्यक्रम के आयोजन के साथ इसका संचालन शुरू करने की तैयारी है। इसकी शुरुआत के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से समय मांगा गया है।-हरि चंद्र सेमवाल, सचिव संस्कृति विभाग

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