हेलीकॉप्टर से केदारनाथ जाने वाले यात्रियों की अब हेलीपैड पर स्क्रीनिंग (स्वास्थ्य जांच) की जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और हंस फाउंडेशन की ओर से गुप्तकाशी से सोनप्रयाग तक 11 स्थानों पर कियोस्क सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इन सेंटरों पर यात्रियों की प्रारंभिक जांच रक्तचाप, शुगर, ऑक्सीजन, धड़कन जांची जाएगी। इसके बाद उसे धाम भेजा जाएगा। साथ ही प्रत्येक यात्री का डेटा बैंक बनाया जाएगा और स्वास्थ्य विभाग को सौंपा जाएगा। ताकि इस डाटा के हिसाब से आगामी यात्रा में स्वास्थ्य सुविधाएं और बेहतर की जा सकें।
केदारनाथ क्षेत्र विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला क्षेत्र है। यहां श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से नहीं जूझना पड़े इसके लिए अब उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य जांच के बाद ही धाम भेजा जाएगा। इसके लिए केदारघाटी से केदारनाथ के लिए संचालित होने वाली हेलीकॉप्टर सेवा के सात हेलीपैड पर यात्रियों की स्क्रीनिंग की जाएगी।
इन सभी हेलीपैड पर स्वास्थ्य विभाग और हंस फाउंडेशन की ओर से कियोस्क सेंटर स्थापित किए जाएंगे। यहां जांच के दौरान किसी यात्री को कोई भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत आती है तो उसका प्राथमिक उपचार दिया जाएगा। एक सप्ताह में कियोस्क का संचालन शुरू हो जाएगा। साथ ही सोनप्रयाग सहित अन्य दो पैदल मार्गों पर दो-दो भी कियोस्क लगाए जाएंगे। कियोस्क के जरिए तैयार होने वाले डेटा बैंक के माध्यम से आगामी केदारनाथ यात्रा में चिकित्सा के इंतजाम किए जाएंगे।
इन स्थानों पर भी लगेंगे 39 कियोस्क सेंटर
चारधाम यात्रा में यात्रियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए हंस फाउंडेशन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा हरिद्वार में 7, ऋषिकेश में 7, उत्तरकाशी में 7, बड़कोट में 6, चमोली के पांडुकेश्वर में 6 और गोविंदघाट में 6 कियोस्क लगाए जाएंगे।
चारधाम यात्रा में अधिक से अधिक यात्रियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए हरिद्वार से सोनप्रयाग और ऋषिकेश से पांडुकेश्वर तक कियोस्क सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। एक सप्ताह में सभी कियोस्क का संचालन शुरू हो जाएगा। – रमेश सिंह गडिया, प्रभारी चारधाम स्क्रीनिंग प्रभारी, हंस फाउंडेशन।
यात्रियों की स्वास्थ्य की जांच के बाद ही उन्हें केदारनाथ भेजा जाएगा। विभागीय स्तर पर यात्रियों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सोनप्रयाग से धाम तक हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। – डाॅ. हरीश चंद्र मार्तोलिया, मुख्य चिकित्साधिकारी रुद्रप्रयाग।