हैट्रिक गर्ल’ वंदना बोलीं- वर्षों के संघर्ष के बाद मिला यह खिताब

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टोक्यो ओलंपिक में पूरे विश्व को अपनी हॉकी स्टिक का जादू दिखाने वाली उत्तराखंड की हैट्रिक गर्ल वंदना कटारिया ने कहा कि वर्षों के संघर्ष और परिवार के सहयोग से हैट्रिक गर्ल का खिताब मिला है। इसे बरकरार रखने के लिए आगे भी संघर्ष जारी रहेगा। वह बुधवार को ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित सम्मान समारोह में संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि मेरी इस कामयाबी के पीछे पिता का हाथ है। अगर आज वह हमारे बीच होते तो उन्हें अपनी बेटी पर नाज होता। वंदना ने कहा कि इस साल 54 लाख रुपये से अधिक का पैकेज मिलना ग्राफिक एरा के शिक्षा के उच्च स्तर और उद्योगों की जरूरतों के मुताबिक ट्रेनिंग देने की अच्छी व्यवस्था का प्रमाण है।कार्यक्रम में ढोल नगाड़ों की थाप और पुष्प वर्षा से स्वागत के बाद विवि की ओर से हैट्रिक गर्ल को 11 लाख रुपये का चेक देकर सम्मानित किया गया। साथ ही वंदना को ब्रांड एंबेसडर बनाने की घोषणा भी की गई। इससे पहले वंदना के अपने पिता स्व. नाहर सिंह को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने कहा कि वंदना ने पूरी दुनिया में उत्तराखंड का गौरव बढ़ाया है। कहा कि अगले ओलंपिक में भारत हॉकी में स्वर्ण पदक अवश्य जीतेगा।वंदना के साथ आए परिवार के सदस्यों ने कहा कि भारतीय टीम हॉकी में स्वर्ण पदक नहीं जीत पाई इसका मलाल है, लेकिन वंदना और उनकी टीम के शानदार प्रदर्शन ने पूरे देश का नाम रोशन किया है। वंदना के भाई सौरभ कटारिया, बहन रचना कटारिया, ललिता कटारिया ने कहा कि वंदना ने अपने खेल से परिवार को नई पहचान दिलाई है।केंद्र सरकार के राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने के फैसले पर वंदना के परिजनों ने कहा कि सरकार के इस फैलसे से देश के खिलाड़ियों का प्रोत्साहन बढ़ा है। कहा कि मेजर ध्यानचंद का हॉकी में अविश्वसनीय योगदान रहा है। उन्होंने विदेशी धरती पर देश का नाम रोशन किया।

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